
लखनऊ. लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में परिवार की लड़ाई थम गई है। अब चाचा शिवपाल सिंह यादव भतीजे अखिलेश को जिताने के एड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए हैं। अखिलेश यादव भी 2022 में शिवपाल को राज्यसभा भेजने की बात कर रहे हैं। पिछले एक महीने पहले की बात करें तो शिवपाल यादव अखिलेश पर हमला करने का कोई मौका नहीं चूकते थे, लेकिन अब दोनों साथ-साथ हैं। इनकी नजदीकियां सियासी गलियारों में चर्चा का केंद्र बनी हैं। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो शिवपाल और अखिलेश की सुलह के पीछे कांग्रेसियों का हाथ है।
कांग्रेस पार्टी के सूत्रों की मानें तो चाचा-भतीजे के बीच कई दौर की बैठक के बाद कांग्रेसी नेता दोनों में सुलह कराने में सफल रहे। सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि शिवपाल यादव कांग्रेस पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष के पद पर आना चाहते थे, लेकिन अखिलेश और राहुल गांधी की दोस्ती के चलते कांग्रेस पार्टी ऐसा नहीं कर पा रही थी, जिसके चलते कांग्रेस ने दोनों नेताओं के बीच का रास्ता निकाला। इस पूरे मामले की जानकारी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी थी।
इसलिये कांग्रेस में जाना चाहते थे शिवपाल यादव
शिवपाल यादव बार-बार कहते रहे हैं कि उनका पार्टी के अंदर सम्मान कम हुआ है, जिसके चलते वह दुखी हैं। यह बात और है कि अखिलेश यादव शिवपाल से जब भी मिले उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। अखिलेश भरे मंच से बार-बार कहते रहे हैं कि वह अपने चाचा का पूरा सम्मान करते हैं।
ये था सुलह का फॉर्मूला
कांगेसी सूत्रों की मानें को शिवपाल यादव के कहने पर ही अखिलेश यादव ने नरेश अग्रवाल को राज्यसभा का टिकट नहीं दिया। भले ही नरेश अग्रवाल कभी शिवपाल यादव के करीबी रहे हैं और उन्होंने ही उन्हें सपा ज्वॉइन कराई हो, लेकिन परिवार की लड़ाई में नरेश अग्रवाल ने रामगोपाल और अखिलेश का साथ दिया था। इसलिये शिवपाल यादव नहीं चाहते थे कि नरेश अग्रवाल राज्यसभा जायें।
पार्टी में सम्मानजनक पद चाहते थे शिवपाल
सूत्रों की मानें तो शिवपाल समाजवादी पार्टी में कोई सम्मानजनक पद चाहते थे। इसके विकल्प के लिये उन्होंने विरोधी दल के नेता का पद सुझाया भी था, लेकिन इसके लिये अखिलेश यादव तैयार नहीं थे। अखिलेश चाहते थे कि शिवपाल अब केंद्र की राजनीति करें, जिसे उन्होंने भारी मन से मान लिया है। चर्चा यह भी है कि शिवपाल यादव डिंपल यादव की संसदीय सीट कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
हर जिले में है शिवपाल की टीम
शिवपाल यादव को मुलायम का हनुमान कहा जाता है। कार्यकर्ताओं के बीच उनकी खासी पकड़ है। उत्तर प्रदेश के हर जिले में शिवपाल यादव के पास समर्पित कार्यकर्ताओं की टीम है। आपसी रार के चलते इन कार्यकर्ताओं के सक्रिय न होने का नुकसान सपा को विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ा था। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चाचा-भतीजे के साथ आने से समाजवादी पार्टी की ताकत और बढ़ेगी।
Published on:
04 Apr 2018 11:39 am
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