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‘लोकतंत्र भारत की आत्मा है, मीडिया उसकी आवाज’ पत्रिका की-नोट 2025 में लखनऊ विवि की कुलपति ने रखे विचार

Patrika Keynote Programme 2025 : राजस्थान पत्रिका (Rajasthan Patrika) समूह के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूर चंद्र कुलिश की जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में पत्रिका समूह देश भर संवाद शृंखला आयोजित कर रहा है। इसी शृंखला में आज लखनऊ विश्वविद्यालय में पत्रिका की-नोट (Patrika Keynote) कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें 'लोकतंत्र और मीडिया' विषय पर चर्चा हुई।

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पत्रिका की-नोट कार्यक्रम।

पत्रिका की-नोट कार्यक्रम लखनऊ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मनुका खन्ना ने रखे अपने विचार, PC- Patrika

लखनऊ। लोकतंत्र और मीडिया के रिश्ते पर देशभर में चल रही बहस के बीच 'पत्रिका की-नोट 2025' का आगाज शुक्रवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में हुआ। मंच पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, कुलपति प्रो. मनुका खन्ना और उद्यमी रेणुका टंडन एक साथ मौजूद रहे। ‘भारतीय लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका : अवसर और चुनौतियां’ विषय प आयोजित इस संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि लोकतंत्र भारत की आत्मा है और मीडिया उसकी सबसे सशक्त आवाज बनकर जनताऔर सरकार के बीच सेतु का कार्य करता है।

'लोकतंत्र ही हमारा आधार'

लखनऊ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मनुका खन्ना ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, 'हम, राजनीतिक शास्त्र से जुड़े शिक्षक और विद्यार्थी हैं और यह मानते हैं कि 'लोकतंत्र ही हमारा आधार है।' भारत की विशेषता यह रही है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से आज तक इस लोकतंत्र की परम्परा को न केवल बनाकर रखा हुआ है बल्कि हम इसमें लगातार नए आयाम जोड़ते जा रहे हैं। यह हमलोगों के लिए गौरव का विषय है कि साउथ एशिया में ज्यादातर सरकारें बहुत जल्दी-जल्दी बदलती और बिगड़ती हैं। नए नए स्वरूप देखने को मिलते हैं। उनकी तुलना में हिन्दुस्तान एक ऐसा देश है, जिसने सैकड़ों वर्षों की गुलामी के बाद स्वतंत्रता प्राप्त होते ही लोकतंत्र का मार्ग अपनाया और इसे अपनी परंपरा बना ली।

पूर्ववर्ती समय में हमारा शासन राजतांत्रिक स्वरूप का था, जहां जनता की भागीदारी सीमित हुआ करती थी लेकिन लोकतंत्र के आगमन के बाद हमने यह मान लिया कि यह केवल 'प्रतिनिधिक (Representative) नहीं, बल्कि सहभागितापूर्ण (Participatory) लोकतंत्र' है। जनता की सक्रिय भागीदारी के बिना कोई भी लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता।

लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका अहम

कुलपति प्रो. मनुका खन्ना ने कहा कि लोकतंत्र का सार यही है कि जनता अपना योगदान दे और फिर हम चुनकर जिस नेता को लाएं उसको लगातार अपने सुझावों के आधार पर सरकार चलाने दें। मीडिया को लोकतंत्र का 'चौथा स्तंभ (Fourth Pillar)' कहा जाता है, क्योंकि वह जनता और सरकार के बीच एक 'सशक्त सेतु (Bridging Effect)' की भूमिका निभाता है।

हमारे संविधान ने तीन प्रमुख स्तंभ कार्यपालिका, व्यवस्‍थापिका और न्यायपालिका निर्धारित किए हैं। इन तीनों के अतिरिक्त, 'मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ' माना गया है और इसलिए मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका बन जाती है कि न केवल जागरूकता बढ़ाने के लिए बल्कि जनमत को सरकार तक पहुंचाने के लिए एक ब्रिजिंग इफेक्ट होता है सरकार और जनता के बीच में जो मीडिया को निभाना है।

लेकिन आज जब हम 'Opportunities and Challenges' अर्थात 'मीडिया की संभावनाएं और चुनौतियां' पर विचार करते हैं, तो हमें कुछ गंभीर प्रश्नों से जूझना पड़ता है-

  • आज पारंपरिक समाचार पत्रों की तुलना में 'सोशल मीडिया (Twitter, Instagram, Facebook, WhatsApp)' कहीं अधिक प्रभावशाली हो गया है। सूचना अब केवल तेज़ी से ही नहीं, बल्कि व्यापक और जीवंत रूप में पहुंच रही है।
  • लेकिन इसके साथ 'भ्रमित करने वाली, अपुष्ट या भ्रामक खबरों' का प्रसार भी तेज़ी से हो रहा है। कई बार तुच्छ घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है, जबकि महत्वपूर्ण मुद्दे अनदेखे रह जाते हैं।
  • कहीं-कहीं पर मीडिया संस्थान 'व्यावसायिक हितों या राजनीतिक दबावों' से प्रभावित दिखाई देते हैं। 'गोदी मीडिया' जैसी धारणा भी इसी अविश्वास को जन्म देती है।
  • कई पत्रकार 'भय, दबाव या पेशागत जोखिम' के कारण तथ्य प्रकाशित नहीं कर पाते, जिससे पत्रकारिता की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता पर प्रश्न उठते हैं।

ये सभी चुनौतियां हमारे लोकतंत्र की जड़ों को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए आज आवश्यकता है कि मीडिया 'सत्यनिष्ठ, उत्तरदायी और निष्पक्ष पत्रकारिता' को सर्वोच्च प्राथमिकता दे।