
लखनऊ में आयोजित पत्रिका की नोट कार्यक्रम में मंच पर दाएं से लखनऊ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मनुका खन्ना, पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी, यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और उद्यमी और समाजसेवी रेणुका टंडन। PC: Patrika
Patrika Keynote 2025: पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी ने कहा है कि शासन के लिए लोकतंत्र से अच्छी कोई विधा नहीं है और इसमें मीडिया लोगों के बीच सेतु का काम करता है। उन्होंने कहा कि 'राजस्थान पत्रिका' सरकारों के लिए विपक्ष का काम करता आया है। वह शुक्रवार को लखनऊ में पत्रिका की-नोट (Patrika Keynote) कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। कार्यक्रम का विषय था ‘भारतीय लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका: अवसर और चुनौतियां’।
लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में हुए इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना मुख्य अतिथि रहे। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। विशेष अतिथि के रूप में लखनऊ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मनुका खन्ना और समाजसेवी व उद्यमी रेणुका टंडन (पूर्व चेयरपर्सन, फिक्की फ्लो लखनऊ एवं कानपुर चैप्टर और संस्थापक, अमरेन फाउंडेशन एवं लखनऊ फिल्म फोरम) मंच पर मौजूद रहीं।
डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, भारत के रोम-रोम में लोकतंत्र बसता है। लोकतंत्र के महत्व को हर कोई जानता है। लोकतंत्र भारत की ताकत है और मीडिया इसका सशक्त स्तंभ। उन्होंने कहा, 'आज सूचना का सबसे बड़ा माध्यम मोबाइल फोन है। समाचार पत्र, डिजिटल और सोशल मीडिया सब लोकतंत्र को मजबूत बनाने में योगदान दे रहे हैं। मीडिया का दायित्व है कि वह निष्पक्ष और सार्थक जानकारी जनता तक पहुंचाए।' उन्होंने कहा कि राजस्थान पत्रिका की एक गरिमा है। उन्होंने मीडिया को लोकतंत्र का चौथा और मजबूत स्तम्भ बताया और कहा कि इसी वजह से इस देश में आपातकाल टिक नहीं पाया।
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी ने कार्यक्रम के दौरान कहा, '' सच्चाई कड़वी होती है। सामने वाले को आसानी से पचती नहीं है। राजस्थान पत्रिका इन 70 सालों में हर सरकार के लिए विपक्ष की भूमिका निभा रहा है। ऐसी कोई सरकार नहीं आई होगी जिससे हमारी भिड़ंत नहीं हुई हो। लेकिन हम झुके नहीं। इसी का नाम स्वतंत्र प्रक्रिया है। लोकतंत्र से अच्छी कोई विधा शासन के लिए नहीं है। हम बहुत आभारी हैं उन पूर्वजों के जिन्होंने हमे ये लोकतंत्र दिया।''
उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि भारत की संस्कृति और जज्बे ने हर विपत्ति में देश को संभाला है। राजतंत्र काल में जब विदेशी आक्रांताओं ने हमारे संस्कारों को नष्ट करने की कोशिश की, तब भी इस देश की आत्मा को कोई नहीं मिटा सका।उन्होंने कहा 'जिन वीर सपूतों ने देश को आज़ाद कराया, उन्होंने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि राष्ट्रहित के लिए लड़ाई लड़ी। अगर वे नहीं होते तो शायद आज हम लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं कर पाते। मैं उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करता हूं।'
भारत की विशेषता यह रही है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से आज तक इस लोकतंत्र की परम्परा को न केवल बनाया हुआ है बल्कि इसमें लगातार नए आयाम जोड़ते जा रहे हैं हम। साउथ एशिया में ज्यादातर सरकारें बदलती और बिगड़ती बहुत जल्दी-जल्दी हैं। नए-नए स्वरूप आते हैं। जबकि हम लोगों के लिए ये गौरव का विषय है कि हिन्दुस्तान एक ऐसा देश है, जिसने सैकड़ों वर्षों की गुलामी के बाद स्वतंत्रता प्राप्त होते ही लोकतंत्र का मार्ग अपनाया और इसे अपनी परंपरा बना लिया।
समाजसेवी और उद्यमी रेणुका टंडन (पूर्व चेयरपर्सन, फिक्की फ्लो लखनऊ एवं कानपुर चैप्टर और संस्थापक, अमरेन फाउंडेशन एवं लखनऊ फिल्म फोरम) ने कहा कि लोकतंत्र जनता की आवाज है और मीडिया उस आवाज को सत्ता तक पहुंचाने वाला सेतु है। उन्होंने कहा, “मीडिया का दायित्व है कि वह साहसपूर्वक सच को सामने लाए। टीआरपी और विज्ञापनों के दबाव में समाचार की सत्यता प्रभावित नहीं हो। मीडिया संतुलित और निष्पक्ष रहे, तभी लोकतंत्र मज़बूत हो सकता है।”
Updated on:
19 Sept 2025 04:56 pm
Published on:
19 Sept 2025 11:09 am
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