
पत्रिका की-नोट कार्यक्रम में विचार रखते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, PC- Patrika
लखनऊ। लोकतंत्र और मीडिया के रिश्ते पर देशभर में चल रही बहस के बीच पत्रिका की-नोट 2025' का आगाज शुक्रवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में हुआ। कार्यक्रम में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, कुलपति प्रो. मनुका खन्ना और उद्यमी रेणुका टंडन मंच पर मौजूद रहे। ‘भारतीय लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका : अवसर और चुनौतियां’ विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि लोकतंत्र भारत की आत्मा है और मीडिया उसकी सबसे सशक्त आवाज बनकर जनता और सरकार के बीच सेतु का कार्य करता है।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि भारत की संस्कृति और जज्बे ने हर विपत्ति में देश को संभाला है। राजतंत्र काल में जब विदेशी आक्रांताओं ने हमारे संस्कारों को नष्ट करने की कोशिश की, तब भी इस देश की आत्मा को कोई नहीं मिटा सका।
उन्होंने कहा 'जिन वीर सपूतों ने देश को आज़ाद कराया, उन्होंने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि राष्ट्रहित के लिए लड़ाई लड़ी। अगर वे नहीं होते तो शायद आज हम लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं कर पाते। मैं उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करता हूं।'
महाना ने कहा कि 'हमारा संविधान ‘We The People of India’ से शुरू होता है। यही हमें याद दिलाता है कि असल ताकत जनता के हाथ में है।
सतीश महाना ने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और उसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि वह सही को सही और गलत को गलत कहे। उन्होंने कहा, 'समाज में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की चीजें मौजूद हैं, लेकिन आजकल हम ‘जो दिखता है, वही बिकता है’ की दौड़ में नेगेटिव खबरों को जरूरत से ज्यादा महत्व देने लगे हैं। नेगेटिव दिखाते-दिखाते हम बहुत आगे निकल आए हैं। अब संतुलन जरूरी है।' उन्होंने जोर दिया कि मीडिया को केवल सनसनी फैलाने के बजाय 'सही जानकारी, संतुलित दृष्टिकोण और जिम्मेदार पत्रकारिता' को प्राथमिकता देनी चाहिए।
महाना ने कहा कि आजकल नेताओं को लेकर भी कई तरह के पूर्वाग्रह बन गए हैं। 'नेता है तो अनपढ़ होगा, नेता है तो इसे कुछ आता ही नहीं… ये धारणा गलत है। नेतागिरी आसान नहीं होती, यह भी मुश्किल काम है। जनता जब जागती है तो नेताओं को भी बदलना पड़ता है।' उन्होंने जोर दिया कि जनता और मीडिया दोनों को सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस दिखाना चाहिए। यही लोकतंत्र में सेतु का काम करेगा।
महाना ने कहा कि आजकल कई लोग अपने फायदे के लिए संस्थानों का नुकसान कर देते हैं। 'ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो व्यक्तिगत नुकसान उठाकर भी संस्थान का फायदा सोचते हैं। लेकिन लोकतंत्र में संस्थान बचेंगे, तभी व्यवस्था बचेगी।' उन्होंने कहा कि दूसरे को खराब कहकर खुद को अच्छा साबित करना आसान है, लेकिन लोकतंत्र को चलाने के लिए सभी को दायित्व बोध के साथ काम करना होगा।
पत्रिका की नोट कार्यक्रम की सभी खबरें यहां पढ़ें :
Updated on:
19 Sept 2025 08:16 pm
Published on:
19 Sept 2025 01:56 pm
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