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Air Pollution: लखनऊ की हवा खराब, CPCB SAMEER ऐप पर AQI 174 दर्ज, गूगल समेत अन्य डेटा भ्रामक

Lucknow Air Turns Poor: लखनऊ की हवा एक बार फिर चिंता बढ़ा रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आधिकारिक SAMEER ऐप के अनुसार आज राजधानी का AQI 174 दर्ज किया गया है, जो खराब श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों ने साफ किया है कि गूगल व अन्य प्लेटफॉर्म पर दिखने वाला AQI डेटा प्रमाणिक नहीं माना जा सकता।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Dec 18, 2025

Lucknow AQI (फोटो सोर्स : WhatsApp News Group)

Lucknow AQI (फोटो सोर्स : WhatsApp News Group)

Air Pollution Lucknow: राजधानी लखनऊ में वायु प्रदूषण एक बार फिर चिंता का विषय बन गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आधिकारिक ऐप ‘SAMEER’ के अनुसार आज लखनऊ का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 174 दर्ज किया गया है, जो ‘खराब’ (Moderate to Poor) श्रेणी में आता है। यह आंकड़ा सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है और इसे ही सरकारी व आधिकारिक मानक माना जाता है।

विशेषज्ञों और प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि गूगल, थर्ड पार्टी वेबसाइट्स और निजी ऐप्स पर दिखने वाला AQI डेटा प्रमाणिक नहीं माना जा सकता, क्योंकि वे CPCB के रियल-टाइम निगरानी तंत्र से सीधे जुड़े नहीं होते। ऐसे में नागरिकों को भ्रम से बचने के लिए केवल CPCB के SAMEER ऐप या बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी आंकड़ों पर ही भरोसा करने की सलाह दी जा रही है।

क्या कहता है AQI 174

एयर क्वालिटी इंडेक्स 174 का अर्थ है कि शहर की हवा पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। यह स्तर खासतौर पर बच्चों,बुजुर्गों,दमा, हृदय रोग और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इस श्रेणी में लंबे समय तक रहने से आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, AQI 150 से ऊपर पहुंचने पर संवेदनशील वर्ग को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

CPCB का SAMEER ऐप क्यों है सबसे भरोसेमंद

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) देश में वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय नेटवर्क संचालित करता है। इसके अंतर्गत—

  • शहरों में स्थापित ऑटोमेटिक एयर मॉनिटरिंग स्टेशन
  • वैज्ञानिक पद्धति से रियल-टाइम डेटा संग्रह

PM2.5, PM10, NO₂, SO₂, CO, O₃ जैसे प्रदूषकों का विश्लेषण किया जाता है। यही डेटा SAMEER ऐप पर दिखाया जाता है, जो सीधे CPCB के सर्वर से जुड़ा होता है। इसके विपरीत, गूगल या अन्य प्लेटफॉर्म कई बार अनुमान आधारित मॉडल, पुराने डेटा या थर्ड पार्टी सोर्स का उपयोग करते हैं, जिससे AQI में अंतर देखने को मिलता है। विशेषज्ञों का कहना है कि नीति निर्माण, स्वास्थ्य एडवाइजरी और प्रशासनिक निर्णयों के लिए केवल CPCB का डेटा ही मान्य है।

लखनऊ में प्रदूषण बढ़ने की वजहें

लखनऊ में AQI 174 तक पहुंचने के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं-

  1. मौसम और स्थिर हवा

सर्दी की शुरुआत के साथ हवा की गति कम हो जाती है, जिससे प्रदूषक तत्व वातावरण में ही फंसे रहते हैं और ऊपर नहीं उठ पाते।

  1. वाहनों का बढ़ता दबाव

राजधानी में निजी वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सुबह और शाम के समय ट्रैफिक जाम से प्रदूषण का स्तर और बढ़ जाता है।

  1. निर्माण कार्य

शहर के कई इलाकों में चल रहे निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल (डस्ट पार्टिकल्स) AQI को प्रभावित कर रही है।

  1. खुले में कचरा जलाना

कई क्षेत्रों में आज भी कचरा और पत्तियां जलाने की घटनाएं सामने आती हैं, जिससे हवा में PM2.5 और PM10 की मात्रा बढ़ जाती है।

स्वास्थ्य पर असर: डॉक्टरों की चेतावनी

केजीएमयू और अन्य सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों का कहना है कि AQI 174 जैसी स्थिति में दमा के मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है। सांस की एलर्जी और खांसी के मामले बढ़ते हैं। लंबे समय तक बाहर रहने से फेफड़ों पर असर पड़ता है डॉक्टरों ने सलाह दी है कि सुबह-शाम मॉर्निंग वॉक सीमित करें। बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करें। बच्चों और बुजुर्गों को अनावश्यक बाहर न भेजेंप्रशासन की तैयारी और अपील

प्रदूषण को लेकर जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सतर्क नजर आ रहा है। अधिकारियों का कहना है कि  निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के निर्देश। खुले में कचरा जलाने पर कार्रवाई, ट्रैफिक प्रबंधन को बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है। साथ ही, नागरिकों से अपील की गई है कि वे भ्रामक AQI डेटा पर भरोसा न करें और केवल CPCB के SAMEER ऐप से ही वायु गुणवत्ता की जानकारी लें।

भ्रामक डेटा से बढ़ती है परेशानी

विशेषज्ञों का मानना है कि अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर अलग AQI दिखने से आम जनता भ्रमित होती है,स्वास्थ्य को लेकर गलत फैसले लिए जाते हैं. प्रशासनिक चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया जाता,इसीलिए CPCB बार-बार स्पष्ट करता रहा है कि SAMEER ऐप पर दिखने वाला AQI ही अंतिम और प्रमाणिक है।

लखनऊ के कई नागरिकों ने भी माना कि अलग-अलग ऐप्स पर अलग AQI देखकर वे भ्रमित हो जाते हैं। एक स्थानीय निवासी रमेश ने कहा कि गूगल पर कुछ और दिखता है, किसी और ऐप पर कुछ और। अब पता चला कि SAMEER ही सही है।

सतर्कता ही बचाव

आज लखनऊ का AQI 174 होना एक चेतावनी है कि हवा अब पूरी तरह सुरक्षित नहीं रही। ऐसे में जरूरी है कि नागरिक सही और प्रमाणिक जानकारी लें

  • स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां अपनाएं
  • प्रशासन और जनता मिलकर प्रदूषण कम करने में सहयोग करें