
उद्यमिता विकास संस्थान के निदेशक हटाए गए, शासन ने गठित की जांच कमेटी (फोटो सोर्स : WhatsApp News Group)
UP Scam Alert: उत्तर प्रदेश में कारीगरों और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से चलाई जा रही प्रशिक्षण योजनाओं में करीब छह करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता सामने आने से शासन और प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने उद्यमिता विकास संस्थान (Entrepreneurship Development Institute) के निदेशक पवन अग्रवाल को तत्काल उनके पद से हटा दिया है और पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। यह घपला कारीगरों को प्रशिक्षण देने के नाम पर जारी किए गए बजट के दुरुपयोग से जुड़ा है, जिसमें नियमों को ताक पर रखकर भुगतान किए जाने का आरोप है।
उद्यमिता विकास संस्थान के माध्यम से प्रदेश में कई महत्वाकांक्षी योजनाओं के तहत कारीगरों और युवाओं को मुफ्त प्रशिक्षण दिया जाता है। इनमें प्रमुख रूप से विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना,एक जिला एक उत्पाद (ODOP) योजना,प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP),ग्राम विकास योजनाएं अन्य कौशल एवं उद्यमिता विकास कार्यक्रम शामिल हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों, हस्तशिल्पियों और छोटे उद्यमियों को आधुनिक तकनीक से जोड़कर रोजगार के नए अवसर देना है। लेकिन जांच में सामने आया कि प्रशिक्षण के नाम पर जारी बजट का नियमों के विपरीत उपयोग किया गया।
शासन के सूत्रों के अनुसार, प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत पंजीकृत प्रशिक्षण संस्थाओं को भुगतान किए जाने में गंभीर अनियमितताएं बरती गईं। नियमों के मुताबिक प्रशिक्षण संस्थाओं को भुगतान करते समय, 5 से 10 प्रतिशत तक का शुल्क रोका जाना अनिवार्य होता है लेकिन आरोप है कि इस नियम का पालन नहीं किया गया और पूरी राशि सीधे संस्थाओं को जारी कर दी गई, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। जांच में यह भी सामने आया कि कई मामलों में भुगतान की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई और वित्तीय नियंत्रण तंत्र को दरकिनार किया गया।
मामले के उजागर होने के बाद शासन ने कड़ा कदम उठाते हुए उद्यमिता विकास संस्थान के निदेशक पवन अग्रवाल को उनके पद से हटा दिया। पवन अग्रवाल संयुक्त आयुक्त उद्योग के पद पर भी तैनात थे और उन्हें निदेशक उद्यमिता का अतिरिक्त चार्ज सौंपा गया था।
शासन का मानना है कि उनके कार्यकाल में विभागीय नियमों का उल्लंघन हुआ,प्रशिक्षण कोष का भुगतान अनियमित तरीके से किया गया,सरकारी धन के दुरुपयोग की स्थिति बनी। इसी आधार पर उन्हें पद से हटाने का निर्णय लिया गया। जांच कमेटी गठित, कई अधिकारियों पर गिर सकती है गाज। शासन ने पूरे मामले की गहन जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी भुगतान प्रक्रिया की जांच करेगी। संबंधित फाइलों और दस्तावेजों का परीक्षण करेगी। जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका तय करेगी सूत्रों का कहना है कि जांच के दायरे में अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी आ सकते हैं, जिन पर कार्रवाई की तलवार लटक सकती है।
पवन अग्रवाल को पद से हटाए जाने के बाद शासन ने एमएसएमई एवं अवस्थापना विभाग के सचिव प्रांजल यादव को निदेशक उद्यमिता का अतिरिक्त चार्ज सौंप दिया है। शासन का उद्देश्य है कि जांच के दौरान विभागीय कामकाज प्रभावित न हो और योजनाएं सुचारु रूप से चलती रहें।
यह पहला मौका नहीं है जब उद्यमिता विकास संस्थान विवादों में आया हो। इससे पहले संस्थान के पूर्व निदेशक डीपी सिंह को भी गंभीर आरोपों के चलते हटाया जा चुका है। मार्च 2022 में डीपी सिंह की कार से करीब डेढ़ करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे, जिसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था। उस मामले ने भी एमएसएमई विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े किए थे। लगातार दूसरे निदेशक पर लगे आरोपों से यह साफ है कि संस्थान के भीतर वित्तीय निगरानी तंत्र में बड़ी खामियां मौजूद हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की वित्तीय अनियमितताओं का सबसे बड़ा नुकसान कारीगरों और युवाओं को होता है। जिन योजनाओं का उद्देश्य उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था, वही योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही हैं।
मामले के सामने आते ही विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार की योजनाएं सिर्फ कागजों पर चल रही हैं,जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार हावी है। जिम्मेदार अधिकारियों पर समय रहते कार्रवाई नहीं की जाती। उन्होंने मामले की सीबीआई या ईडी से जांच कराने की मांग भी उठाई है।
हालांकि शासन की ओर से साफ संकेत दिए गए हैं कि इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर-
Published on:
18 Dec 2025 09:43 am
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