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अगर आप हैं AAM AADMI तो #Emergency में न करें 100 और 108 पर कॉल

आपातकालीन सुविधाओं से पहले यहां मिल सकता है 'पिज़्ज़ा' !

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Dikshant Sharma

Sep 02, 2016

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Dikshant Sharma

लखनऊ.
सीएम अखिलेश बेशक अपने ड्रीम प्रोजेक्ट डॉयल 100 और डॉयल 108 की तारीफ करते न थकते हों लेकिन राजधानी का एक छोटा सा उदाहरण इन सब परियोजनाओं और सम्बंधित अधिकारियों की कार्यशैली बखूबी बयान कर रहा है। इन परियोजनाओं के सम्बन्ध में लगातार बातें सामने आती रही हैं कि अक्सर यहां के फ़ोन लाइन व्यस्त रहती हैं। इसको लेकर सच्चाई तब सामने आयी जब करीब एक घंटे तक दोनों ही नंबर पर लगातार कॉल किया गया। 100 नंबर पर 18 बार कॉल किया गया लेकिन व्यस्त होने का सन्देश आता रहा। वहीं 108 पर फोन उठा तो जरूर लेकिन होल्ड करा दिया। अंततः दोनों ही जगह से कोई मदद नहीं मिली और नागरिकों की सूझ-बूझ के चलते किसी जान बच गयी।


क्या हुआ था

गुरुवार शाम करीब 7 बजे थाना कृष्णा नगर के अंतर्गत विजय नगर में एक व्यक्ति नशे के हालात में चोटिल पड़ा था। चश्मदीदों की माने तो वह नशे में था और किसी बड़ी गाडी से टक्कर होने के चलते घायल पड़ा था। मौके पर मौजूद अलंकृत बाजपाई ने बताया कि वह विजय नगर में ही रहते हैं और उस दौरान वहां से गुज़र रहे थे जब उन्होंने भीड़ लगी देखी। अलंकृत ने बताया कि वहां मौजूद लोग पहले से 100/108 पर फ़ोन मिला रहे थे। पीड़ित व्यक्ति के सिर पर ज़्यादा चोट लगने के चलते वह अचेत पड़ा हुआ था। अलंकृत ने बताया कि खून काफी बह चुका था। ज़मीन पर पड़ा खून सूखने लगा था और सिर में क्लोटिंग हो रही थी। अलंकृत ने और इंतज़ार करा उचित नहीं समझा और दो अन्य लोगों की मदद से उसे ऑटो में बिठा लोक बंधू हॉस्पिटल से गए।

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100 नंबर पर 11 कॉल, 108 पर सिर्फ होल्ड

अलंकृत ने बताया की पीड़ित व्यक्ति कुछ भी बताने में असमर्थ था। उसकी जेब में कोई आइडेंटिटी कार्ड भी नहीं था। ऐसे में उसे अस्पताल में एडमिट करने में मुश्किल होती और परिवारजनों तक खबर भी न पहुंच पाती। इसलिए पुलिस की मदद लेने के कॉल किया जा रहा था।

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अलंकृत द्वारा दी जानकारी के अनुसार 100 नंबर पर थोड़ी-थोड़ी देर के अंतराल पर लगातार कॉल की जा रही थी लेकिन नंबर व्यस्त होने का सन्देश सुनाई देता रहा। वही 108 पर दो बार कॉल उठा और परेशान न होने की बात कहते हुए होल्ड पर डॉल दिया गया। करीब 3 मिनट तक लाइन होल्ड रही तो फ़ोन काट कर फिर मिलाया गया। दूसरी बार वही हुआ, होल्ड। इसके बाद ज़िम्मेदारी को समझते हुए अलंकृत और साथी उसे लेकर लोक बंधू अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टर ने पीड़ित को एडमिट कर पुलिस को सूचना पहुंचाने की बात कही।

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अलंकृत ने पत्रिका से कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन सुविधाओं की सबसे अधिक जरूरत होती है उन्ही का यह हाल है। ज़्यादा कुछ न बोलते हुए बस इतना कहूंगा 'HUMANITY PREVAILS AND THE SYSTEM FAILS'

क्या कहते हैं ज़िम्मेदार

मॉडर्न कंट्रोल रूम के प्रभारी दुर्गेश कुमार ने बताया कि बीती शाम करीब 5 बजे शार्ट सर्किट होने के चलते आधी से ज़्यादा लाइने ठप हो गयी थीं। 10 में से कुल 4 ही लाइने चल रही थी। इस समस्या का निवारण करीब रात 9 : 15 पर किया जा सका।

आपको बतादें जहां राजधानी में यह घटना सामने आयी वहीं अमरोहा में भी 100 नंबर पर फ़ोन न उठना की शिकायत सामने आयी है। वहां बेटी से छेड़छाड़ का विरोध पिता ने किया तो मनचलों ने पिता को लाठी डंडों से पीट-पीट कर मार डाला। पीड़ित परिवार ने वहां भी आरोप लगाया कि 100 नंबर पर लगातार कॉल की गयी पर कोई जवाब नहीं मिला।

जीवीके, ईमआरआई कम्यूनिकेशन हेड अजय यादव ने कहा कि इसको संज्ञान में ले लिया गया है। अॉपरेटर से जवाब तलब किया जा रहा है।

जिनको देते हैं परमिशन वो करते हैं इनसे तेज काम

बात करें टेलीकॉम द्वारा सेवाओं की तो प्राइवेट कंपनी जस्ट डायल या कैब्स जैसी सेवाओं को सरकार ही मंजूरी देती है। लेकिन सुविधाओं के मामले में सरकार से कई हाथ आगे हैं यह कंपनी। इन मामलों के मद्देनज़र एक अजीब विडम्बना है कि लगता है कि सम्बंधित अधिकारियों और सुविधाओं से पहले यहां की जनता को पिज़्ज़ा मिल सकता है!

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