
विंटर वेकेशन के बीच अर्जेंट हियरिंग केस को लेकर CJI की दो टूक
सुप्रीम कोर्ट की विंटर वेकेशन जैसे ही नजदीक आई, कोर्ट में अचानक इस बात को लेकर माहौल बहुत गंभीर हो गया। 17 दिन तक रेगुलर हियरिंग नहीं होने पर यह सवाल उठने लगा कि अब अर्जेंट मामलों का क्या होगा? और इसी के चलते वकीलों ने शुक्रवार को अर्जेंट हियरिंग की अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने अर्जेंट मामलों की लिस्टिंग को लेकर वकीलों को दो टूक में जवाब देते हुए जरूरी मामलों की सुनवाई को लेकर अहम फैसला सुनाया है। साथ ही अर्जेंट हियरिंग के लिए वकीलों के सामने शर्त भी रखी गई है। इससे यह साफ हो जाता है कि हर अर्जेंसी को एक जैसा नहीं समझा जाएगा।
दरअसल, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कुछ वकीलों ने अपने अर्जेंट मामलों की सुनवाई के लिए मांग रखी। इसके पीछे का कारण यह था कि कोर्ट शुक्रवार से 4 जनवरी तक विंटर वेकेशन के लिए बंद हो रहा है और अब रेगुलर सुनवाई 5 जनवरी 2025 से शुरू होगी। इसी बीच वकीलों ने तुरंत मामलों को लिस्ट करने की मांग रखी। इन मांगों को देखते हुए CJI सूर्यकांत ने साफ शब्दों में कहा कि शुक्रवार को किसी भी नए मामले की लिस्टिंग की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इस हफ्ते पहले से ही बहुत ज्यादा फाइलिंग हुई है। इस वजह से जज पहले से ही भारी दबाव में फाइलों पढ़ रहे हैं। ऐसे में CJI ने कहा कि आज अगर नए मामलों की लिस्टिंग हुई तो जज फाइल पढ़ेंगे कैसे?
लाइव लॉ के अनुसार, CJI ने वकीलों को दो टूक कहते हुए जवाब दिया कि मामलों की तभी लिस्टिंग की जाएगी, जब वकील उस दिन बहस के लिए तैयार रहें। साथ ही उन्होंने कहा कि मामला सोमवार को तभी लिस्ट होगा, जब जांच में उस मामले की अर्जेंसी सही पाई जाएगी। लेकिन शर्त यही रहेगी कि उस दिन बहस करनी होगी। बच्चों की कस्टडी, जमानत या गिरफ्तारी जैसे मामलों में भी रजिस्ट्री पहले यह तय करेगी कि मामला सच है या नहीं। अगर जांच में सही में इमरजेंसी सिचुएशन जैसे हालात हुए तो ऐसे मामलों को 22 दिसंबर को होने वाली स्पेशल वेकेशन सिटिंग में लिस्ट किया जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उस दिन एक बेंच बैठेगी या नहीं, इसका फैसला भी मामलों की संख्या देखकर ही किया जाएगा।
दिल्ली में ग्रैप-4 लागू करने के बाद भी प्रदूषण कम नहीं होने और प्रदूषण पर काबू नहीं कर पाने की वजह से दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया। उस सर्कुलर में वकीलों और पक्षकारों को सलाह दी गई है कि वह कोर्ट में सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हो सकते हैं। प्रदूषण को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट हाइब्रिड मोड में काम कर रहा है, जिसका मतलब है कि अब कोर्ट में पेशी शारीरिक और ऑनलाइन दोनों तरह से हो सकती है।
Updated on:
20 Dec 2025 12:35 pm
Published on:
20 Dec 2025 12:32 pm
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