बड़े पदों पर मिलती है नौकरी
सैनिक स्कूलों और मिलिट्री स्कूलों से पढ़ाई करने पर सेना में नौकरी में बेहद आसानी रहती है। इसमें एनडीए के तहत तीनों सेनाओं में अधिकारी रैंक की नौकरियां मिलती हैं। लेफ्नेंट, सब लेफ्टीनेंट और फ्लाइंग अधिकारी समेत कई बड़ी पोस्ट की योग्यताओं के लिए होते हैं। यह भी पढ़ें
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सैनिक स्कूल और मिलिट्री स्कूल में अंतर
- भारत में मिलिट्री स्कूल केवल पांच हैं पर सैनिक स्कूलों की संख्या 31 हो गई है।
- मिलिट्री स्कूलों की फीस सैनिक स्कूल की तुलना में बहुत कम है हालांकि सिविलियन के लिए फीस थोड़ी ज्यादा है फिर भी सैनिक स्कूलों की तुलना में फीस मिलिट्री स्कूल की कम है।
- मिलिट्री स्कूल अपनी प्रवेश परीक्षा क्लास 9th और 6th दोनों में केवल एक बार लेता है परंतु सैनिक स्कूल में यही परीक्षा दो बार दी जा सकती है।
- क्योंकि मिलिट्री स्कूलों की संख्या बहुत कम है इसलिए मिलिट्री स्कूल का इंटरव्यू बहुत ही हाई लेवल का होता है परंतु सैनिक स्कूल किसी तरह का इंटरव्यू नहीं लेते हैं।
- मिलिट्री स्कूलों में क्लास 6 के लिए 10 से 11 वर्ष का बच्चा एग्जाम दे सकता है और 9 के लिए 13 से 14 वर्ष का लेकिन सैनिक स्कूलों में क्लास 6 के लिए 10 से 12 वर्ष तक के बच्चे दे सकते हैं। जबकि क्लास 9 के लिए 13 से 15 वर्ष तक के बच्चे इस एग्जाम को दे सकते हैं।
- मिलिट्री स्कूलों को मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस चलाती है जबकि सैनिक स्कूल को स्टेट गवर्नमेंट चलाती है।
- इतनी सारी भिन्नता होते हुए भी दोनों के कोर्स एक हैं और दोनों ही एनडीए की तैयारी कराते हैं।
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