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कोलकाता में हाथ रिक्शा चालकों का दर्द दिखेगा बड़े परदे पर, निदेशक ने की सीएम योगी से अपील

डॉक्मेंट्री हेरिटेज ऑफ़ द आल, अंग्रेजों के समय से जारी जानवरों की जगह इंसानों के उपयोग की प्रथा का वर्णन करेगी।

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लखनऊ

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Dikshant Sharma

Mar 12, 2018

documentary on kolkatta hand rickshaw pullers, heritage of thrall

heritage of thrall

लखनऊ. अक्सर सामाजिक मुद्दों को बड़े पर्दे पर उतारने वाले निदेशक प्रज्ञेष सिंह हाल ही में अपनी शॉर्ट फिल्म छोटी सी गुजारिश के लिए पुरस्कृत किए गए थे। एक बार फिर वह हर बार की तरह सामाजिक मुद्दे पर अपनी अगली डॉक्यूमेंट्री लेकर दर्शकों के सामने लाने जा रहे हैं। वे कोलकाता में चलने वाले हाथ रिक्शा चालकों का दर्द डॉक्यूमेंट्री के ज़रिये दर्शाएंगे। डॉक्मेंट्री हेरिटेज ऑफ़ द आल, अंग्रेजों के समय से जारी जानवरों की जगह इंसानों के उपयोग की प्रथा का वर्णन करेगी। जॉय ऑफ सिटी नाम से मशहूर कलकत्ता शहर पर आधारित ये फिल्म बिहार झारखंड और उत्तराखंड में भी दिखाई जाएगी।

इस डॉक्यूमेंट्री में इंसानियत के उस चेहरे को दर्शाया गया है जिससे कोलकाता की सड़क पर विरासत के रूप में संरक्षित किया गया है। निदेशक प्रज्ञेष सिंह का कहना है कि एक ओर जहां देश से सिर पर मैला ढोने, बालविवाह, बाल श्रम, दहेज प्रथा, सती प्रथा जैसी तमाम अमानवीय प्रथा को कानून बनाकर रद्द कर दिया गया है किसी ने कोलकाता के इन रिक्शा वालों के बारे में नहीं सोचा। कोलकाता में सदियों से हाथ रिक्शे को विरासत के रूप में संरक्षित रखा गया है। कुछ संगठन इसे अमानवी मानते हैं और इसके खिलाफ लड़ाई भी लड़ रहे हैं। वे कुछ साल पहले कोलकाता गए थे जहां उनकी नज़र इस ओर पड़ी थी।

उन्होंने कहा कि उत्तराधिकार में मिली प्रत्येक चीज विरासत नहीं होती। विरासत में इंसानियत और मूल्यों पर खरा उतरने के लिए सामर्थ्य होना चाहिए।

लखनऊ के रहने वाले 42 वर्षीय प्रज्ञेष सिंह अक्सर सामाजिक मुद्दों को भावनात्मक रूप में उतारते हैं।उनकी पिछली फिल्म छोटी सी गुजारिश को 12 अवार्ड मिले थे। वर्तमान में वे कांस में शार्ट फिल्म में अपनी जगह बना चुकी है।

सरकार से की अपील
प्रज्ञेष ने इसके साथ ही एक अपील की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार फिल्मों को अनुदान दे रही है जिससे काफी मदद भी मिलती है। लेकिन शार्ट फिल्म सामाजिक मुद्दों को उठाने में ज़्यादा मददगार होती है। अगर सरकार इनके लिए भी वित्तीय सहायता दे तो इससे उत्तर प्रदेश के नए फिल्म निर्माताओं कलाकारों के लिए सकारात्मक अवसर उपलब्ध हो सकेंगे।