
पड़ोसी राज्यों से महंगी यूपी में बिजली, PC- Patrika Team
यूपी में बिजली की दरें बढ़ाने और निजीकरण को लेकर घमासान मचा हुआ है। बिजली की दरों को 45% तक बढ़ाने का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेजा गया है। अब नियामक आयोग क्या फैसला लेता है इसकी जानकारी आने वाले दिनों में मिलेगी। फिलहाल आज की खबर में बात यूपी के पड़ोसी राज्यों की बिजली की दरों और उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की बैठक पर विस्तृत विश्लेषण।
उत्तर प्रदेश के घरेलू बिजली उपभोक्ताओं पर महंगाई की एक और मार पड़ने वाली है। बिजली कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए घरेलू बिजली दरों में 45 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की याचिका उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में दायर की है। इस पर आयोग के स्तर पर जनसुनवाई भी पूरी हो चुकी है और अब जल्द ही यह तय होगा कि दरें बढ़ेंगी या नहीं। लेकिन चिंता की बात यह है कि यूपी पहले से ही देश के सबसे महंगे बिजली दरों वाले राज्यों में शामिल है, खासकर अपने नौ पड़ोसी राज्यों की तुलना में यहां घरेलू उपभोक्ताओं को सबसे महंगी बिजली मिल रही है।
उत्तर प्रदेश की सीमा जिन नौ राज्यों से लगती है उनमें बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। इनमें से हिमाचल और झारखंड में कांग्रेस और उसके गठबंधन की सरकार है, जबकि बाकी सात राज्यों में भाजपा या उसके सहयोगियों की सरकारें हैं। यदि केवल भाजपा शासित राज्यों की ही तुलना करें, तब भी उत्तर प्रदेश घरेलू उपभोक्ताओं से सबसे ज्यादा बिजली दर वसूलने वाला राज्य है। ऐसे में दरों में 45% की संभावित बढ़ोतरी उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है।
अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां केवल किसानों को फ्री बिजली दी जा रही है। घरेलू उपभोक्ताओं के लिए कोई विशेष योजना या राहत नहीं है। जबकि मंत्री ए.के. शर्मा, जो पहले नौकरशाह रह चुके हैं, लगातार दावा करते हैं कि यूपी में बिजली क्षेत्र में बीते तीन वर्षों में अभूतपूर्व कार्य हुआ है। उनका कहना है कि पहले लोगों को बिजली मिलती ही नहीं थी, अब 24 घंटे बिजली देना सरकार की प्राथमिकता है। वे अक्सर कहते हैं कि फ्री बिजली से पहले बिजली की उपलब्धता ज़रूरी है।
मंत्री ए.के. शर्मा का यह भी दावा है कि उत्तर प्रदेश आज देश का सबसे ज्यादा बिजली सप्लाई करने वाला राज्य बन चुका है। वे पूर्ववर्ती सपा सरकार की तुलना करते हुए कहते हैं कि उस समय अधिकतम मांग 16,110 मेगावाट थी, जो अब बढ़कर 31,486 मेगावाट तक पहुंच गई है। 21 जुलाई के आंकड़ों के अनुसार, यूपी देश में सबसे ज्यादा बिजली आपूर्ति कर रहा है, इसके बाद महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु का स्थान आता है।
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की अध्यक्षता में हुई राज्य सलाहकार समिति की बैठक में उपभोक्ता परिषद ने बिजली दरों में प्रस्तावित 45% बढ़ोतरी और निजीकरण का जोरदार विरोध किया। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर डालने को असंवैधानिक बताया और कहा कि बिजली कंपनियों के पास पहले से ही ₹33122 करोड़ का सरप्लस है, ऐसे में दरें बढ़ाना अनुचित है।
परिषद ने 5 बड़ी मांगें रखीं - दरों में 45% की कटौती, निजीकरण खारिज करने, प्रीपेड मीटर पर 5% छूट, घरेलू व्यवसायियों को रियायत, और मल्टीस्टोरी इमारतों में बिल्डर उत्पीड़न पर रोक।
नोएडा पावर कंपनी के मॉडल को विफल बताते हुए परिषद ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल का निजीकरण न करने की मांग दोहराई। अवधेश वर्मा, दीपा जैनानी और डॉ. भारत राज सिंह ने मिलकर लिखित प्रस्ताव भी सौंपा। मेट्रो और इंडस्ट्री प्रतिनिधियों ने भी दर वृद्धि का विरोध करते हुए कहा कि इससे आम जनता और उद्योग दोनों प्रभावित होंगे।
Updated on:
26 Jul 2025 09:23 am
Published on:
25 Jul 2025 08:38 pm
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