
UP Power Workers Strike
उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी करीब 23 साल बाद हड़ताल करने सड़क पर उतरे हैं। इससे पहले साल 2000 में उस समय के बीजेपी सरकार में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद को भंग करने के सरकार के फैसले के खिलाफ बिजली कर्मचारी करीब 15 दिनों तक लगातार हड़ताल पर थे। उस समय हड़ताल के दौरान 22 हजार बिजली कर्मचारी जेल भेजे गए थे और करीब 25 हजार कर्मियों को सरकार ने बर्खास्त भी किया था।
हड़ताल समाप्त होने पर उन सभी कर्मियों को वापस बहाल कर दिया गया। इस बार के भी सरकार हड़ताल के जरिए बिजली सप्लाई में बाधा डालने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के मूड में है। कर्मियों के अनुसार यूपी के बिजली कर्मचारी पावर निगम के रवैये से लगातार 72 घंटों के लिए हड़ताल पर जाने को मजबूर हुए हैं।
साल 2000 में हुए बिजली कर्मचारी हड़ताल का मुख्य कारण तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार का बड़ा नीतिगत फैसला था जिसके द्वारा बिजली बोर्ड परिषद को तोड़ते हुए कई नई कंपनियां बनाई गईं थी। साल 2000 के बाद अब फिर से ऐसा माहौल बना है जिसके कारण बिजली विभाग के कर्मियों ने 72 घंटों की टोकन हड़ताल का ऐलान किया है। अगर अभी भी सरकार से ताल मेल नहीं बन पाई तो यह हड़ताल अनिश्चित काल तक चलने के आसार है।
बिजली हड़ताल का पूरा मामला
उत्तर प्रदेश ऊर्जा मंत्री एके शर्मा और सीएम के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी की मौजूदगी में बिजली कर्मचारियों से कुल 14 पॉइंट्स पर समझौता हुआ था। इन 14 बातों मे से कुछ बिन्दु ऐसे हैं, जिन्हें लागू करना कठिन माना जा रहा है। कर्मचारियों के बोनस की मांग को पूरी कर दी गई थी और कैशलेश इलाज के लिए भी मंत्री ने आदेश दे दिया है।
हड़ताल के प्रमुख कारण
Published on:
18 Mar 2023 04:23 pm
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