Fake call center busted in Lucknow: पुलिस ने मंगलवार को एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो बेरोजगार युवाओं को नामी कंपनियों में नौकरी का सपना दिखाकर लाखों रुपये की ठगी कर रहा था। इस ऑपरेशन में पुलिस ने नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें चार महिलाएं भी शामिल हैं। गिरोह के सदस्य खुद को प्रतिष्ठित कंपनियों के एचआर प्रतिनिधि बताकर कॉल सेंटर की तर्ज पर ऑपरेशन चला रहे थे।
छापेमारी और गिरफ्तारियां
पुलिस की साइबर क्राइम सेल, दक्षिणी सर्विलांस टीम और बनथरा व सरोजिनी नगर थाना पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में आज़ाद बिहार कॉलोनी और आउटर रिंग रोड अंडरपास के पास दो ठिकानों पर छापा मारा गया। यहां से लैपटॉप, मोबाइल फोन, सैकड़ों फर्जी नियुक्ति पत्र, दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य बरामद किए गए।
गिरफ्तार अभियुक्तों में आजाद बिहार कॉलोनी से अजय प्रताप सिंह, अमित सिंह, संतोष कुमार, ब्रुशाली सिंह और आरती सिंह शामिल हैं, जबकि सरोजिनी नगर से कुलदीप सिंह, प्रियंका कश्यप, शालू विश्वकर्मा और अंचल शर्मा को पकड़ा गया। ये लोग "स्काई नेट एंटरप्राइजेज़" के नाम से फर्जी कंपनी चला रहे थे।
फरेब का तरीका
डीसीपी दक्षिण निपुण अग्रवाल ने बताया कि ये आरोपी बेरोजगार युवाओं को एयरलाइंस, आईटी और ऑटोमोबाइल कंपनियों में नौकरी दिलाने का झांसा देते थे। उम्मीदवारों को पहले कॉल, ईमेल या व्हाट्सएप के जरिए लुभाया जाता, फिर फर्जी इंटरव्यू करवाकर नियुक्ति पत्र भेज दिया जाता। इसके एवज में 3,000 से 10,000 रुपये तक की रकम ‘प्रोसेसिंग फीस’ या ‘वेरिफिकेशन शुल्क’ के नाम पर वसूली जाती थी।
नियुक्ति पत्रों पर कंपनियों के असली लोगो और अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर होते थे, जिससे वे असली लगें। रकम वसूलने के बाद आरोपी मोबाइल नंबर बंद कर देते और लोकेशन बदल लेते थे।
फरार आरोपी और जांच की दिशा
गिरोह के दो सदस्य संदीप सिंह और संतोष अभी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है। पुलिस ने इनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) और आईटी एक्ट की धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। जब्त उपकरणों की फॉरेंसिक जांच की जा रही है ताकि और सबूत इकट्ठा किए जा सकें।
कॉल सेंटर की आड़ में ठगी का नेटवर्क
पुलिस ने यह भी खुलासा किया है कि कॉल सेंटर में कॉल करने वालों को प्रति माह ₹8000 से ₹10,000 वेतन दिया जाता था। गिरोह नोएडा स्थित एक पोर्टल से ₹15,000 देकर बेरोजगार युवाओं का डेटा खरीदता और हर दिन 100 रिज्यूमे शॉर्टलिस्ट कर कॉल करता था। इसके बाद झांसे में आए उम्मीदवारों से नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे ऐंठे जाते थे।
पुलिस का संदेश
डीसीपी निपुण अग्रवाल ने युवाओं से अपील की है कि वे किसी भी नौकरी प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले उसके स्रोत और वैधता की पूरी जांच करें। यह कार्रवाई पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, जिसने सैकड़ों युवाओं को फर्जीवाड़े का शिकार बनने से बचा लिया।
Published on:
18 Jun 2025 11:49 am