
212 करोड़ वसूलना योगी सरकार के लिए बड़ी चुनौती, ये हैं पांच कारण
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में जारी अवैध बालू और मोरंग खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से अब तक का बड़ा फैसला सुनाया है। गोंडा में रेलवे लाइन किनारे अवैध खनन करने वालों से 212 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा हो गया है सरकार रसूखदार खनन माफिया से यह रकम कैसे वसूलेगी। इसके पहले भी सूबे के दो आईएएस अधिकारियों को अवैध खनन के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दंड सुनाया था। महीनों की हीलाहवाली के बाद अफसरों को राज्य सरकार ने आरोप पत्र तो दे दिया लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी इन पर क्या कार्रवाई हुई किसी को कुछ नहीं पता। हालांकि, योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की शपथ लेने के बाद अपनी पहली प्रेस कांन्फ्रेस में राज्य को अवैध खनन से निजात दिलाने का वादा किया था। विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र में अवैध खनन को पूरी तरह से बंद करने के साथ साथ खनन माफिया पर पूरी तरह अंकुश लगाने की घोषणा की गयी थी। लेकिन, आज भी स्थितियां जस की तस हैं।
खनन माफिया बेलगाम हैं। कई जिलों में तो उनका ग्रामीणों से सीधा टकराव भी हुआ। ज्यादा दिन नहीं बीते हैं बागपत में खनन माफिया का विरोध करने पर खनन कर रहे गुंडों ने अंधाधुंध फायरिंग की थी जिससे कई किसान घायल हुए थे। महाराजगंज की फरेंदा तहसील के एसडीएम आरबी सिंह को अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई के लिए छापामारी के दौरान कुचल कर मार डालने का प्रयास किया गया था। खुद सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि भाजपा विधायक अवैध खनन में लिप्त हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से श्याम मिश्रा नाम के युवक ने आरोप लगाया था कि सोनभद्र में भाजपा विधायक और जिलाध्यक्ष अवैध खनन में शामिल है। लेकिन इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अखिलेश सरकार के दौरान रामपुर में अवैध खनन पर कार्रवाई न करने के आरोप में आईएएस राजीव रौतेला और कानपुर देहात के डीएम रहे राजेश कुमार प्रथम के खिलाफ बड़ी र्कारवाई का आदेश दिया था। महीनों की चुप्पी के बाद योगी सरकार ने आरोप पत्र दिया लेकिन इन अफसरों पर क्या कार्रवाई हुई कुंछ पता नहीं।
कमाई का बड़ा जरिया
बसपा सरकार में मंत्री रहे बाबूसिंह कुशवाहा और अखिलेश यादव सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति पर खनन के काले कारोबार से अकूत सम्पदा कमाने का आरोप है। गायत्री अभी जेल में हैं। बाबूराम जेल से बाहर। लेकिन खनन के अवैध कारोबार के लिए इनके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। शायद यही वजह है अवैध खनन के खेल से जल्दी अरबपति बनने की चाहत में इस धंधे में लोग जुड़ रहे हैं। पिछले दिनों न जाने कितने पट्टाधारकों की बालू खदानों में छापेमारी कर जेसीबी और पोकलैंड मशीनें जब्त की गयी थीं लेकिन अब वे बिना जुर्माना अदा किए बालू माफिया के दरवाजों पर खड़ी हैं।
माफियाओं की पुलिस से सांठगांठ
एनजीटी में याचिका दायर कर चुके सामाजिक कार्यकर्ता बृजमोहन यादव बताते हैं कि पुलिस की सांठगांठ से माफिया नदी से मशीनों के माध्यम से बालू निकालते हैं। हालांकि सरकार के निर्देश पर एडीएम, उपजिलाधिकारी, तहसीलदार और लेखपालों को रात में बालू घाटों की निगरानी करने में लगाया गया था लेकिन वे खुद 'बहती गंगा में हाथ धोने में पीछे नहीं रहे।
राजनीतिक दल भी खामोश
अवैध खनन के खिलाफ जब तब आंदोलन की बात करने वाले राजनीतिक दल भी इस मुद्दे पर खामोश ही रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर एवं वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने अप्रैल माह में घोषणा की थी कि नियम विपरीत देवरिया में बालू खनन हो रह है। जबकि गांव के पास 200 फिट के अंदर खनन नहीं होना चाहिए। इसके विरोध में पार्टी प्रदर्शन करेगी। लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। सपा और बसपा भी प्रदेश भर में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन शुरू नहीं किया।
अवैध खनन पर पांच साल की जेल
उत्तर प्रदेश खनिज (परिहार) (42वां संशोधन) नियमावली, 2017 के अनुसार उप्र में अवैध खनन का दोषी पाए जाने पर 20 गुना जुर्माना देना होता है। इसके अलावा दोषियों की सजा छह माह से बढ़ाकर पांच साल कर दी गई है। नई व्यवस्था के तहत प्रति हेक्टेयर अवैध खनन पर 25 हजार रुपए के जुर्माने की राशि बढ़ाकर पांच लाख रुपए कर दी गई है। इसी तरह छह माह के सजा के प्रावधान को बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया है। हालांकि घरेलू उपयोग और मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए किए जाने वाले खनन में रियायत भी दी गई है।
खनन माफिया पर 212 करोड़ का जुर्माना
भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह की शिकायत पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने खनन माफियों पर 212 करोड़ का जुर्माना लगाया है। मामला गोंडा जिले में तरबगंज तहसील के कई गांवों से जुड़ा है। खनन मामले में नवंबर 2016 को वन जिला अधिकारी ने डॉ. हफीज, उसके भाई मोहम्मद शफीक और अन्य पांच लोगों के खिलाफ प्राथिमिकी दर्ज कराई थी। जांच कमेटी की रिपोर्ट पर एनजीटी ने नुकसान का आंकलन करते हुए कुल 212.46 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। खनन क्षेत्र में इस कार्रवाई को अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।
Published on:
25 Jul 2018 04:54 pm
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