5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

उत्तर प्रदेश के महराजगंज में बनेगा पहला गिद्ध संरक्षण केंद्र

वन्यजीव अनुसंधान संगठन एवं बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा की जायेगी स्थापना

less than 1 minute read
Google source verification

लखनऊ

image

Anil Ankur

Nov 25, 2019

Pokhran became Rare species roost of birds in jaisalmer

परमाणुनगरी बनी दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों का बसेरा,नजर आए विंगड टर्न व ऑस्प्रे पक्षी


लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार विलुप्तप्राय गिद्धों के संरक्षण और उनकी आबादी बढ़ाने के लिए महाराजगंज की फरेंदा तहसील के भारी-वैसी गांव में प्रदेश का पहला ’जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र’ स्थापित करेगी। गोरखपुर वन प्रभाग में 5 हेक्टेयर में स्थापित होने वाला यह केंद्र हरियाणा के पिंजौर में स्थापित देश के पहले जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) सुनील पांडेय ने यह जानकारी देते हुये बताया कि इस केंद्र की स्थापना वन्यजीव अनुसंधान संगठन और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से की जायेगी। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) ने इस केंद्र की डीपीआर तैयार की है। उन्होंने कहा कि कैंपा योजना के तहत धन की व्यवस्था के लिए डीपीआर भेजी गई है। सर्वेक्षण का काम करीब 60 प्रतिशत तक पूरा कर लिया गया है।


पांडे ने कहा कि महाराजगंज वन प्रभाग के मधवलिया रेंज में अगस्त माह में 100 से अधिक गिद्ध देखे गए थे। प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित गो सदन के निकट भी यह झुंड दिखा था। उन्होंने बताया कि गौ सदन में निर्वासित पशु रखे जाते हैं, जो वृद्ध होने के कारण जल्द ही मर जाते हैं। उन्होंने बताया मृत निर्वासित पशुओं के मिलने से यहां गिद्धों का दिखना स्वभाविक है, इसीलिए भारी वैसी गांव का चयन किया गया है। श्री पांडेय ने बताया कि वर्ष 2013-14 की गणना के अनुसार 13 जिलों में लगभग 900 गिद्ध पाए गए थे।