शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी घर पर आती हैं। अमावस्या की रात को ही माता धरती पर आती हैं। इस वजह से यह त्योहार अमावस्या की रात मनाना उचित समझा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जिस दिन सूर्यास्त के बाद एक घड़ी अधिक तक अमावस्या तिथि रहे उस दिन दिवाली मनाई जाती है। ज्योतिष अनिरुद्ध दुबे के अनुासर, इस साल अमावस्या की तिथि 13 नवंबर को दोपहर 2:18 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 15 नवंबर की सुबह 10: 37 मिनट तक रहेगी। यही वजह है कि माता लक्ष्मी का पूजन 14 नवंबर को होगा। इसके पहले 13 नवंबर को प्रदोष के दिन धनतेरस मनाई जाएगी।
स्वाति नक्षत्र और सौभाग्य योग इस साल पंचांग गणना में द्वितीय तिथि का क्षय हो रहा है। इसके कारण रूप चौदस सुबह मनाई जाएगी जबकि शाम को दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। रूप चौदस चतुर्दशी का पर्व अरूणोदयम के पहले मनाया जाएगा। 14 नवंबर को महालक्ष्मी पूजन के समय स्वाति नक्षत्र और सौभाग्य योग रहेगा। लक्ष्मीपूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 5:49 से 6:02 बजे तक रहेगा।
रात 8:10 तक रहेगा स्वाति नक्षत्र 14 नवंबर की रात 8:10 बजे तक स्वाति नक्षत्र रहेगा। इसके बाद पूरी रात विशाखा नक्षत्र रहेगा। पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। प्रदोष काल में स्वाति से बना सिद्धि योग कार्य सफलता के लिए अच्छा माना जाता है। इस दौरान कोई भी काम करना शुभ होता है। स्वाति नक्षत्र में चल-संज्ञक नक्षत्र होने के कारण वाहन खरीदारी, दुकानदारी, चित्रकारी, शिक्षक, स्कूल, संचालक, श्रृंगार प्रसाधन के लिए अच्छा माना जाता है।