
Satendra Singh
लखनऊ। एलडीए में अनार्जित भूमि के नई दर पर प्रतिकर बनाने के फर्जी तरीके से प्रस्ताव बनाने के एक मामले में पूर्व उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह घिर गए हैं। राधाग्राम योजना में बने बालागंज स्थित द्वितीय वॉटर वक्र्स के लिए 10 बीघा 15 बिस्वां जमीन अधिग्रहीत की गई थी। लेकिन इसका प्रतिकर नहीं दिया गया था। लंबे समय बाद जमीन के मालिक ने कोर्ट में प्रतिकर भुगतान के लिए वाद दाखिल कर दिया। इस पर कोर्ट ने भू स्वामियों को मुआवजे के लिए भुगतान का आदेश दे दिया। जिस जमीन का मुआवजा सिर्फ 31 लाख रुपए होना चाहिए था। भू स्वामियों को फायदा पहुंचाने के लिए मिलीभगत कर 45 करोड़ रुपए का फर्जी प्रतिकर प्रस्ताव तैयार कर दिया।
मामला मुख्य सचिव के पास पहुंचा। तब मुख्य सचिव ने एलडीए को मुआजवे के लिए अधिकृत कर दिया। नजूल अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि भूमि अधिग्रहण के पुराने नियम के हिसाब से जिस जमीन का मुआवजा सिर्फ 31 लाख रुपए होना चाहिए था। भू स्वामियों को फायदा पहुंचाने के लिए मिलीभगत कर 45 करोड़ रुपए का फर्जी प्रतिकर प्रस्ताव तैयार कर डीएम के पास भेज दिया। जानकारी के अनुसार इस भूमि पर अभी जल निगम का कब्जा है जबकि पहले से यह भूमि एलडीए ने अधिग्रहित ही नहीं की थी। इस सम्बन्ध में मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में जुलाई 2017 में बैठक हुई। इस बैठक में प्रमुख सचिव आवास मुकुल सिंघल और एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह समेत शासन और जल निगम के अफसर भी मौजूद थे। हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन को लेकर हुई इस बैठक में निर्णय लिया गया कि नवंबर 1995 में अपर जिलाधिकारी भूमि अर्जन की ओर से निर्देशित किया गया था कि खसरा संख्या 67 के अवशेष क्षेत्रफल 9001 बीघा से कब्जा हटा लिया जाए। लेकिन जल निगम के बाउंड्री बनाए जाने से कब्जा नहीं हट सका। इस मामले में दाखिल याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने 2007 में इस अनार्जित भूमि का मुआवजे दिए जाने का आदेश सुना दिया। इस पर जल निगम व जल संस्थान में हड़कंप मच गया। हालांकि आज भी यह जमीन खाली पड़ी है।
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला, नहीं मिली थी राहत
बता दें कि प्रतिकर का भुगतान व जमीन न छोड़े जाने पर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। बीते महीने एसएसपी की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय को यथावत रखते हुए याची को नई याचिका हाईकोर्ट में आदेश को स्पष्टï करने को लेकर दायर करने को कहा। लेकिन याची ने वर्ष 2007 के बाद से कोई याचिका नहीं दाखिल की। ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार याची को जमीन के भूमि के लिए 31 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाना चाहिए था। इस बीच इस भूमि को 2016 में पंजीकृत बैनामा दिखाकर एक चौथाई भूमि खरीदने का दावा कर दिया। जिस जमीन का मुआवजा ल बे समय से नहीं दिया जा रहा था। उस जमीन का मुआवजा फर्जी तरीके से पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह ने नए भूमि अर्जन एक्ट 2013 के तहत 45 करोड़ 8 लाख 46 हजार रुपए का प्रस्ताव तैयार कर दिया। यही नहीं इस प्रस्ताव को डीएम की अध्यक्षता में होने वाली प्रतिकर मूल्य निर्धारण समिति को भेज दिया गया।
फाइल पर नोटिंग करने के चलते फंस गए
एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह ने बताया कि ऐसे मामलों में प्रस्ताव तैयार करने वाले और अंतिम हस्ताक्षर करने वाले पर ही आरोप तय होते हैं। इस प्रस्ताव को अर्जन के अमीन आशीष कुमार ने तैयार किया था जबकि पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह ने फाइल पर बकायदा नए एक्ट का हवाला देते हुए 45 करोड़ प्रतिकर दिए जाने की नोटिंग भी कर दी।
शासन जल्द लेगा बड़ा निर्णय
इस मामले में एलडीए ने अपने ही पूर्व उपाध्यक्ष के खिलाफ नियुक्ति विभाग को चार्जशीट भेज दी गई है। वहीं, इस खेल में शामिल अमीन को भी चार्जशीट दी गई है। एलडीए ने गोपनीय तरीके से यह रिपोर्ट बीते महीने ही शासन को भेज दी है। जल्द ही इस मामले में शासन बड़ा निर्णय ले सकता है।
Published on:
13 Sept 2017 09:34 pm
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