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गणपत्ति बप्पा के विसर्जन में और मैली हो रही गोमती

गणेश चतुर्थी में गणेश स्थापना के बाद शहर में गणपति विसर्जन का सिलसिला जारी है

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लखनऊ

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Santoshi Das

Sep 02, 2017

Ganpati

Ganpati Mahotsav

लखनऊ।गणेश चतुर्थी में गणेश स्थापना के बाद शहर में गणपति विसर्जन का सिलसिला जारी है. विसर्जन के दौरान अब तक शहर में लगभग 2000 छोटी और बड़ी मूर्तियां विसर्जित हो चुकी हैं. अब ऐसे में एक बार फिर से उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गोमती के पानी के ज़हरीले होने के संकेत दे दिए हैं.

आपको बता दें कि हर साल शहर में गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान गोमती का पानी हद से ज्यादा प्रदूषित हो जाता है. पानी में बीओडी लेवल कम होने की वजह से गोमती में पलने वाले जलीय जीव मारे जाते हैं. हर साल हज़ारों मछलियां मरती हैं.

प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की मूर्तियों से बढ़ा जल प्रदूषण

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मधु गुप्ता ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर ज्यादातर पंडालों में प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की मूर्तियां स्थापित की गई हैं. यह प्लास्टिक ऑफ़ पेरिस पानी के लिए नुकसानदेह है. प्लास्टिक ऑफ़ पेरिस में तमाम तरह के केमिकल होते हैं जो पानी को ज़हरीला बना देता है.

पानी में जाते ही सख्त हो जाता है पीओपी

डीपी सिंह के अनुसार परम्परागत तौर पर बनने वाली मूर्तियां मिटटी, रूई, बांस की खपच्चियां और प्राकृतिक रंगों से बनाई जाती थीं. आज इनकी जगह प्लास्टर ऑफ़ पेरिस, लोए की सलाखों, पॉलीस्टर कपड़ों, प्लास्टिक, सिंथेटिक पेंट और कई अन्य सजावटी-दिखावटी सामानों ने ले ली है. जल्दी सूखने की क्षमता के कारण मूर्ति निर्माण में प्लास्टिक ऑफ़ पेरिस का इस्तेमाल बढ़ा है. मिटटी 45 मिनट के अंदर नदी के पानी में घुल जाती है जबकि अधिक पानी के संपर्क में आने पर प्लास्टर ऑफ़ पेरिस और सख्त हो जाता है. इसके कारण इसे घुलने में महीनों लग जाते हैं। सिंथेटिक पेंट के साथ मिलकर इसका दुष्प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है.

पिछले साल अधिक हुआ था प्रदूषण

पिछले वर्ष प्रदूषण विभाग को मूर्ति विसर्जन के बाद गोमती के पानी के नमूने में भारी धातु की मात्रा अधिक मिली थी. इसमें जैविक-रासायनिक ऑक्सीजन, सुचालकता, भारीपन के अलावा नाइट्रेट, क्रोमियम और सीसा का प्रतिशत बढ़ा हुआ पाया गया. मूर्तियों में पीओपी और केमिकल्स का उपयोग न हो और विसर्जन से जल स्रोत प्रदूषित न हो इस पर नज़र रखी जायेगी।

दुर्गा पूजा विसर्जन है बाकी


गणेश महोत्सव में विसर्जन के बाद गोमती में पहले से ही भारी मात्रा में पीओपी और भारी धातुओं का जमा होगा। इसके कुछ ही दिनों बाद दुर्गा पूजा का त्यौहार आएगा और फिर से विसर्जन के बाद दोबारा गोमती, गंगा समेत प्रदेश की दूसरी नदियों में पीओपी और मेटल का लेयर जम जाएगा जो कई वर्षों के बाद भी कम नहीं होगा।विसर्जन को लेकर सख्त नियम और कानून बनाने की ज़रूरत है.