
घोसी उपचुनाव जीतने के लिए अखिलेश यादव समेत पूरा यादव कुनबा प्रचार करने में जुटा हुआ है।
Ghosi ByElection: उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा का उपचुनाव बड़े दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। सत्तारूढ़ और विपक्ष दोनों ने ही चुनाव जीतने की जोर आजमाइश कर रखी है। इस चुनाव की सबसे खास बात यह है कि इसमें विपक्षी दल सपा प्रचार के लिए सैफई परिवार भी मैदान में कूद पड़ा है। वहीं, राजनीतिक जानकारों की मानें तो घोसी उपचुनाव से देश में बड़ा संदेश जाएगा। इसके साथ ही विपक्ष की तरफ से बने इंडिया गठबंधन में यूपी की तरफ से मजबूत भूमिका निभा रहे अखिलेश यादव की परीक्षा भी है। इसीलिए इस उपचुनाव में पूरे यादव कुनबा अपनी ताकत झोंक दी है।
इस उपचुनाव में पहले से मोर्चा संभालने के लिए संगठन माहिर शिवपाल को लगाया था। इसके बाद रामगोपाल फिर खुद अखिलेश भी पहुंचे हैं। सियासी जानकर कहते हैं 2017 से लेकर अब तक कई उपचुनाव हो चुके है। उसमें न तो अखिलेश, न ही उनका परिवार इतना सक्रिय रहा है, जितना घोसी में दिख रहा है। एक मैनपुरी को छोड़कर इतनी सक्रियता देखने को नहीं मिली है। उसका परिणाम भी सकारात्मक रहा है।
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रामपुर उपचुनाव में प्रचार करने गए थे अखिलेश
आजमगढ़ में जब परिवार के सदस्य धर्मेंद्र यादव मैदान में थे, तब सपा मुखिया अखिलेश यादव की भारी डिमांड थी। लेकिन अखिलेश नहीं गए थे। इसके अलावा गोला, खतौली, स्वार और छानबे में उपचुनाव में भी अखिलेश यादव प्रचार के लिए नहीं गए। हालांकि, रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में एक दिन प्रचार के लिए गए थे। पार्टी को वहां हार का सामना करना पड़ा था।
बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश
मैनपुरी उपचुनाव से अखिलेश यादव ने सबक लिया और पूरे परिवार को घोसी चुनाव में मैदान में प्रचार के लिए उतारा है। आमतौर पर उपचुनावों में अखिलेश यादव खुद को प्रचार से दूर रखते थे। लेकिन इस बार उनके एक्टिव होने से यह उप चुनाव महत्वपूर्ण हो गया है। सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह को कांग्रेस का समर्थन मिल चुका है। ये इंडिया के घटक दल हैं। लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश चल रही है।
सपा के प्रत्याशी को कांग्रेस का समर्थन
राजनीतिक दलों की रिपोर्ट के अनुसार घोसी विधानसा में करीब 4 लाख 37 हजार वोटर हैं। इसमें 90 हजार के करीब मुस्लिम, 60 हजार दलित,77 हजार ऊंची जातियों के लोग हैं। इसमें 45 हजार भूमिहार ,16 हजार राजपूत और 6 हजार ब्राह्मण हैं, बाकि पिछड़ी जातियां हैं। कांग्रेस और बसपा के चुनाव में मैदान में न उतरने के कारण मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी को मिलने की उम्मीद की जा रही है।
ये चुनाव तय करेगा INDIA का फार्मूला
अगर चुनाव में जनता का फैसला सपा के पक्ष में रहा तो इंडिया ने इसे बड़े पैमाने पर प्रचारित करने का फैसला भी किया है, ताकि पूरे देश को यह संदेश दिया जा सके कि यूपी में इंडिया के प्रयोग को जनता ने पसंद किया है। पीडीए फार्मूले के लिए यहां का जातीय समीकरण बिल्कुल सटीक है। अगर यहां से अखिलेश की पार्टी को सफलता नही मिलती, तो इसका मतलब यही होगा कि उनका यह फार्मूला कारगर नहीं है।
Updated on:
30 Aug 2023 08:00 pm
Published on:
30 Aug 2023 07:59 pm
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