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अब फिनायल नहीं ‘गोनायल’ से लगेगा घरों में पोछा

बाजार के केमिकल युक्त महंगी फिनाइल का विकल्प गोमूत्र में मिला है।

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लखनऊ

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Akansha Singh

May 16, 2019

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अब फिनायल नहीं 'गोनायल' से लगेगा घरों में पोछा

लखनऊ. बाजार के केमिकल युक्त महंगी फिनाइल का विकल्प गोमूत्र में मिला है। जल्द ही शहर में गोमूत्र और नीम के पत्तों को मिलाकर जो फिनाइल मिलने लगेगा। इसके लिये एलएमसी द्वारा एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है जिसमें गोमूत्र का प्रयोग से फिनायल बनाया जाएगा। हालांकि अभी गोनायल नाम के फिनायल को प्रयोग एलएमसी कार्यालयों में फर्श क्लीनर और कीटाणुनाशक के रूप में किया जा रहा है। टेस्ट ड्राइव के सफल होते ही इसे बड़े पैमाने पर उत्पादित और खुले बाजार में बेचा जाने की उम्मीद है।

इस फिनायल के बारे में एलएमसी के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अरविंद राव का कहना है कि हम गोमूत्र से फिनायल का उत्पादन करने वाले देश के पहले नगर निगम हैं। वर्तमान में, उपवन परिसर और एलएमसी कार्यालयों में उपयोग के लिए प्रतिदिन लगभग 100 लीटर का निर्माण किया जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को बढ़ावा देने के लिए, नागरिक अधिकारियों ने बेंगलुरु से एक मशीन खरीदी है जिसकी कीमत 2.5 लाख है। गोमूत्र हमेशा एक प्रभावी कीटाणुनाशक रहा है। हम प्रतिदिन 100 लीटर फ़िनायल बनाने के लिए 70 लीटर मूत्र का उपयोग कर रहे हैं। वर्तमान में बाजार में उपलब्ध सबसे सस्ते फेनोल की कीमत 55 रुपये लीटर है। हमारी वार्षिक आवश्यकता लगभग 19,000 लीटर है, जिसकी लागत 10.40 लाख रुपये है। हमारा कान्हा गोनियाल प्रति वर्ष 5-6 लाख रुपये बचाएगा।

इस तरह बनता है गोनायल

गोमूत्र फिनायल बनाने के लिये मशीन में सबसे पहले गोमूत्र, देवदार के तेल, पानी, सिट्रोनेला मिलाया जाता है। 130 लीटर फिनायल के लिए 20 लीटर गौमूत्र और 3 किलो 750 ग्राम नीम की पत्तियां ली जाती हैं। इन्हें मिलाकर गर्म किया जाता है। इसके बाद इस मिश्रण की मात्रा कुल मात्रा की 1 बटा 5 रह जाती है। इसके बाद इस मिश्रण को छानकर इसमें कुछ भाग देवदार के तेल का मिलाया जाता है और सुंगध डाली जाती है। इसके बाद मिश्रण को ठंडा कर इसमें करीब 125 लीटर पानी मिला दिया जाता है। इसके बाद इसे पैकिंग में भरकर सप्लाई के लिए तैयार कर दिया जाता है।