गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली के दौरान हुए उपद्रव के बाद 37 एफआईआर दर्ज की गईं, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर सहित किसान नेता राकेश टिकैत व योगेंद्र यादव भी शामिल है। सिर्फ हरियाणा सरकार ने प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ 136 एफआईआर दर्ज की हैं जिनमें से दो एफआईआर राजद्रोह के तहत दर्ज की गई हैं। दिल्ली पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश में आंदोलन के दौरान किसानों के ऊपर बड़ी संख्या में एफआईआर दर्ज की गई हैं।
आंदोलन में 605 किसानों ने गवाई जान संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार किसान आंदोलन के दौरान 605 से अधिक किसानों की मृत्यु हुई है। सरकारी आंकड़ा इसके अलग हो सकता है। किसान आंदोलन में सबसे पहले 65 वर्षीय कहन सिंह की मृत्यु हुई वहीं 605वीं मौत सुरजीत की हुई। किसान आंदोलन के दौरान हिंसा के साथ साथ कई किसानों को हार्टअटैक व बीमारी से भी मौत हुई।
सबसे ज्यादा पंजाब के किसानों ने दिया बलिदान संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार आंदोलन के दौरान सबसे ज्यादा मौत पंजाब के किसानों की हुई। आने वाले दिनों में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं इससे पहले नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून बिल को वापस लेने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि “आज मैं पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून को वापस लेने का फैसला लिया है इस महीने के अंत में शुरू हो रहे सत्र में तीनों कानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू की जाएगी”
किसान आंदोलन से जन्मा लखीमपुर कांड उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन के चलते लखीमपुर जैसा बड़ा कांड हुआ, जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से चार किसान थे। 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुई इस घटना के दौरान बहराइच के 2 किसानों सही 4 किसानों की मौत हो गई। आरोप है कि केंद्रीय मंत्री के बेटे की गाड़ी के नीचे आने से किसानों की मृत्यु हुई।
एक साल तक चला किसान आंदोलन किसान आंदोलन नवंबर 2020 में शुरू हुआ था 26 नवंबर 2020 में पंजाब हरियाणा बॉर्डर से किसानों ने दिल्ली में घुसने का प्रयास किया था जिसके बाद सरकार ने बैरिकेडिंग लगाकर किसानों को बॉर्डर पर ही रोक दिया था. तब से बॉर्डर पर किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। एक साल से लगातार किसान प्रदर्शन कर रहे थे इस दौरान किसानों व सुरक्षा बलों के बीच में झड़प भी हुई जिसमें संपत्ति का नुकसान व किसानों की जानें गईं।