26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

डाकू मलखान सिंह का पपौत्र कर रहा है पाकेटमारी

यूपी टीम में उसका हो गया था सलेक्शन, पर नहीं मिली नौकरी

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Anil Ankur

Apr 28, 2018

Police's apathy in crime related to women

grandson of Dacoit Malkhan singh caught in pickpocketing

लखनऊ। कुख्यात डाकू मलखान सिंह की आत्मा आज बेहद दुखी होगी क्योंकि उसका पपौत्र डकैती, लूट और हत्या में नहीं पकड़ा गया। पुलिस ने उसके पपौत्र को चेन स्नेचिंग में धर दबोचा है। खास बात यह है कि मलखान सिंह का पपौत्र अच्छा खिलाड़ी भी था, पर धनाभाव में उसे यह सब करना पड़ रहा है।

करीब दो दशकों तक बीहड़ में आतंक का पर्याय बने रहे कुख्यात डकैत मलखान सिंह के प्रपौत्र अजय सिंह को राजधानी पुलिस ने शुक्रवार को चेन लूट के आरोप में गिरफ्तार किया। लूट के जेवर खरीदने वाला आलमबाग का सराफ भी उसके साथ पकड़ा गया है। दोनों के पास से लूट की चेन और इलेक्ट्रॉनिक तराजू बरामद हुआ।

औद्योगिक नगर कानपुर में बर्रा का रहने वाला अजय सिंह डकैत मलखान सिंह के बेटे रुस्तम सिंह का पौत्र है। अजय के पिता विजय सिंह की कैंसर से मौत हो चुकी है। पुलिस ने बताया कि अजय अकेले ही लूट करता है। उसने आशियाना, कैंट, चारबाग, आलमबाग इलाके में कई वारदात की हैं। लूट की कई वारदात के सीसीटीवी फुटेज में घटनास्थल के पास दिखने के बाद से पुलिस को उसकी तलाश थी। शुक्रवार को वह लूट की चेन बेचने के लिए स्मृति वाटिका के गेट पर सर्राफ आकाश उर्फ शुभम का इंतजार कर रहा था। पुलिस ने उसे वहीं से दबोच लिया। उसके पास से लूटी गईं तीन चेन, पॉकेट इलेक्ट्रॉनिक तराजू और नकदी बरामद हुई है।

जिन मलखान सिंह का आतंक था। पुलिस भी उससे डरती थी आज वह भक्ती में लग गया है। 70 के दशक में डाकू मलखान सिंह की चम्बल में तूती बोलती थी। मलखान के गिरोह पर 32 पुलिसवालों सहित 185 हत्याओं का आरोप था। तीन दशक पहले मध्य प्रदेश की अर्जुन सिंह सरकार के सामने मलखान ने आत्मसमर्पण कर दिया। सरकार की ओर से मिली जमीन पर खेती शुरू की और फिर अध्यात्म का रुख कर लिया। वर्ष 2014 में मलखान तब सुर्खियों में आए थे जब वह भाजपा के प्रचार में उतर आए थे। उनका कहना था कि कांग्रेस के चलते ही वह डाकू बनने पर मजबूर हुए थे इसलिए वह भाजपा का प्रचार कर रहे हैं। 2016 में नोटबंदी के दौरान ग्वालियर में पैसे निकालने के लिए लाइन में लगे उनकी तस्वीर भी चर्चा में आई थी।
पुलिस ने बताया कि अजय स्नातक करने के बाद वह यूपी टीम में सलेक्ट हो गया था। टीम की तरफ से उसने कई मैच खेले और बेहतर प्रदर्शन भी किया था। अजय ने कहा कि आरक्षण का लाभ उठाकर उसके कई दोस्तों ने नौकरी हासिल कर ली, लेकिन तमाम कॉम्पिटीशन देने के बाद भी उसे नौकरी नहीं मिली। इसी के बाद उसने अपराध की दुनिया चुन ली और लूटपाट करने लगा।