
Gupt Navrartri 2022: दो फरवरी से माघ महीने की गुप्त नवरात्रि शुरू होने जा रही है। अधिकतर लोगों को गुप्त नवरात्रि के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। दरअसल, नवरात्रि दो नहीं बल्कि चार होते हैं। शारदीय और चैत्र नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि होते हैं जिनके बारे में लोगों को बेहद कम जानकारी है। हिन्दी वर्ष के प्रथम मास अर्थात चैत्र में प्रथम नवरात्रि होती है। चौथे माह आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि होती है, जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इसके बाद तीसरी नवरात्रि, अश्विन मास में होती है जो प्रमुख होती है। अन्ततः वर्ष के ग्यारहवें महीने अर्थात माघ में फिर नवरात्रि होती है ये भी गुप्त नवरात्रि होती है। इस प्रकार कुल चार नवरात्रि होती है जिसमें दो प्रमुख और दो गुप्त नवरात्रि होती है। इन चारों नवरात्रि में अश्विन मास की नवरात्रि सबसे प्रमुख मानी जाती है, जिसे हम शारदीय नवरात्रि भी कहते हैं।
इन्हीं दो गुप्त नवरात्रि में से एक माघ महीने की गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी से शुरू होने जा रही है। गुप्त नवरात्रि विशेष तौर पर तन्त्र साधना गुप्त सिद्धियां पाने का समय है। साधक इन दोनों गुप्त नवरात्रि में विशेष साधना करते हैं। गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली शक्ति की साधना के बारे में जहां कम लोगों को ही जानकारी होती है, वहीं इससे जुड़ी साधना-आराधना को भी लोगों से गुप्त रखा जाता है। कहा जाता है कि साधक जितनी गुप्त रूप से साधना करता है, उस पर मां भगवती की उतनी ही कृपा बरसती है।
तान्त्रिकों के लिए है महत्वपूर्ण
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्र में भी पूजा अन्य नवरात्रि की तरह ही होती है। किन्तु तंत्र साधना वाले साधक इन दिनों में माता के नौ स्वरूप की नहीं बल्कि दस महाविद्याओं की साधना करते हैं। ये दस महाविद्याएं मां माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी देवी, माँ छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माँ धूमावती, माँ बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी।
जिस प्रकार भगवान शंकर के दो रूप हैं एक रूद्र और दूसरे शिव (काल और महाकाल)। उसी प्रकार देवी भगवती के भी दो कुल हैं, पहला काली कुल और दूसरा श्री कुल। जिसमें काली कुल में उग्रता की प्रतीक देवियाँ हैं वहीं श्री कुल में सौम्य देवियाँ हैं।
काली कुल में महाकाली, तारा, छिन्नमस्ता और भुवनेश्वरी हैं, यह सभी देवियाँ स्वभाव से उग्र हैं। श्री कुल की देवियों में त्रिपुर सुन्दरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला हैं। इनमें धूमावती को छोड़ कर सभी सौन्दर्य की प्रतीक हैं।
मन्त्र –
काली तारा महाविद्या षोडशी भुवनेश्वरी।
भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या धूमावती तथा।
बगला सिद्धविद्या च मातंगी कमलात्मिका।
एता दश महाविद्याः सिद्धविद्याः प्राकृर्तिता।
एषा विद्या प्रकथिता सर्वतन्त्रेषु गोपिता।
आइये जानते हैं इन दस महाविद्या के बारे में
1. काली – समस्त बाधाओं से मुक्ति प्रदान करने वाली देवी। लम्बी आयु,बुरे ग्रहों के प्रभाव,कालसर्प,मांगलीक बाधा,अकाल मृत्यु नाश आदि के लिए देवी काली की साधना की जाती है।
2. तारा – आर्थिक उन्नति प्रदान करने वाली देवी। तीब्र बुद्धि रचनात्मकता उच्च शिक्षा के लिए साधक माँ तारा की साधना करते हैं।
3. त्रिपुर सुन्दरी – सौन्दर्य और ऐश्वर्य प्रदान करने वाली देवी। व्यक्तित्व विकास पूर्ण स्वास्थ्य और सुन्दर काया के लिए त्रिपुर सुंदरी देवी की साधना की जाती है।
4. भुवनेश्वरी – सुख और शान्ति का वरदान देने वाली देवी। भूमि, भवन और वाहन सुख के लिए भुवनेश्वरी देवी की साधना की जाती है।
5. छिन्नमस्ता – वैभव और सम्मोहन की देवी। रोजगार में सफलता, नौकरी पद्दोन्नति के लिए माँ छिन्नमस्ता की साधना की जाती है।
6. त्रिपुर भैरवी – सुख वैभव और विपत्तियों को हरने वाली देवी। सुन्दर पति या पत्नी की प्राप्ति, प्रेम विवाह, शीघ्र विवाह, प्रेम में सफलता के लिए त्रिपुर भैरवी की साधना की जाती है।
7. धूमावती – दरिद्रता का विनाश करने वाली देवी। तंत्र-मंत्र जादू टोना बुरी नजर और भूत-प्रेत आदि समस्त भय से मुक्ति के लिए धूमावती देवी की साधना की जाती है।8. बगलामुखी – वाद-विवाद और शत्रु पर विजय का वरदान देने वाली देवी। शत्रु नाश, कोर्ट कचहरी में विजय, प्रतियोगिता में सफलता के लिए माँ बगलामुखी की साधना की जाती है।
9. मातंगी – ज्ञान, विज्ञान, सिद्धि साधना प्रदान करने वाली देवी। संतान प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति आदि के लिए मातंगी देवी की साधना की जाती है।
10. कमला – परम वैभव और धन प्रदान करने वाली देवी। अखंड धन-धान्य प्राप्ति, ऋण नाश और लक्ष्मी जी की कृपा के लिए देवी कमला की साधना की जाती है।
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Published on:
01 Feb 2022 08:37 am
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