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यूपी में हड़ताल पर गए स्वास्थ्यकर्मी, 108 और 102 सेवाएं रही ठप

स्वास्थ्य विभाग में निकाले गए नई भर्तियों के विज्ञापन के विरोध में यूपी में साेमवार काे स्वास्थ्यकर्मी और 108 व 102 एम्बुलेंसकर्मी हड़ताल पर रहे। इससे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा प्रभाव पड़ा।

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लखनऊ

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shivmani tyagi

Jul 26, 2021

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108 ambulance

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

लखनऊ (Lucknow) हर दिन हजारों गंभीर रोगियाें काे अस्पताल तक ले जाने का जिम्मा उठाने वाली 108 ( 108 ambulance ) और 102 एम्बुलेंस ( 102 ambulance ) सेवा सोमवार काे प्रदेश के कई जिलों में ठप रही, वजह थी स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल। अपनी छह सूत्रीय मांग काे लेकर सोमवार काे स्वास्थ्यकर्मी और एम्बुलेंसकर्मी हड़ताल पर रहे। इससे प्रदेशभर में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई। अपनी मांगे पूरी नहीं हाेने पर स्वास्थ्यकर्मी न सिर्फ हड़ताल पर रहे बल्कि उन्हाेंने विराेध प्रदर्शन भी किया।

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हड़ताल के चलते प्रदेश के जिले आजमगढ़, सहारनपुर, गाजियाबाद, मेरठ और वाराणसी में सुबह ही स्वास्थ्यकर्मियाें ने एम्बुलेंस हैंड ब्रेक लगाकर खड़ी कर दी। शनिवार और रविवार का लॉकडाउन हाेने की वजह से समस्या और अधिक गंभीर बन गई। इस हड़ताल का लगभग पूरे प्रदेश में ही असर पड़ा और लाेगाें काे खासी परेशानी उठानी पड़ी। लाेग एम्बुेंस सेवा के लिए फोन घुमाते रहे लेकिन समय से मदद नहीं मिल सकी। यह अलग बात है कि गंभीर दुर्घटनाओं में सेवाओं काे बहाल रखा गया।

ये है पूरा मामला

दरअसल, स्वास्थ्य विभाग में एम्बुलेंस प्रबंधन करने वाली एजेंसी ने नई भर्ती के लिए विज्ञापन दिया है। इस विज्ञापन के आने के बाद अब पुराने कर्मचारियाें काे अपनी नौकरी खतरे में पड़ती हुई दिखाई दे रही है। स्वास्थ्यकर्मियाें के संगठऩ का कहना है कि उन्हाेंने कोरोना काल में भी अपनी जान पर खेलकर सेवाएं दी हैं। ऐसे में अब उन्हे हटा देना गलत है उन्ही की सेवाएं निरंतर रखी जाएं। एम्बुलेंस कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष नीतीश कुमार का कहना है कि नई कंपनी के आने पर करीब 1200 कर्मचारियों की नौकरी दांव पर है और नई कंपनी मानदेय भी कम दे रही है। पुरानी कंपनी 13,700 रुपये दे रही थी जबकि नई कंपनी 10,700 रुपये ही देगी। इसी बात काे काे लेकर कर्मचारी संगठऩ विरोध प्रदर्शन कर रहा है। उन्हाेंने कहा कि संगठन ने पहले ही हड़ताल की चेतावनी दे दी थी 24 अप्रैल से संगठन शांतिपूर्वक तरीके से हड़ताल कर रहा था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हाे रही थी। अपनी आवाज काे मजबूती से उठाने के लिए उन्हे हड़ताल करनी पड़ी है।

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