इलाहाबाद में होने वाले कुंभ के लिए कानपुर में गंगा को साफ रखने के उद्देश्य से वहां की टेनरीज/उद्योग को बंद करने के मामले में लखनऊ की हाईकोर्ट बेंच ने टेनरी मालिकों को राहत प्रदान की है।
High court
लखनऊ. इलाहाबाद में होने वाले कुंभ के लिए कानपुर में गंगा को साफ रखने के उद्देश्य से वहां की टेनरीज/उद्योग को बंद करने के मामले में लखनऊ की हाईकोर्ट बेंच ने टेनरी मालिकों को राहत प्रदान की है। अब कुंभ के दौरान उन्हें उद्योग बंदी के दौर से नहीं गुजरना पड़ेगा। आपको बता दें कि कानपुर में एक हजार से ज्यादा टेनरी मालिक व करीब ढाई लाख से ज्यादा वहां काम करने वाले कर्मचारी हैं।
इस आदेश पर हुई सुनवाई- मामले में एडवोकेट राकेश चौधरी और एडिश्नल एडवोकेट जनरल ने कानपुर की रहमान इंडस्ट्रीज की ओर से रिट याचिका दायर की। याचिका में यूपी सरकार के निर्देशानुसार यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिए गए उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें 26 नवम्बर को उन्नाव/कानपुर के उद्योग/टेनरियों को 3 महीने के लिए यानी 15 से 15 मार्च तक बंद करने के लिए कहा गया था।
ये भी पढ़ें- स्टिंग ऑपरेशन के बाद अखिलेश का भाजपा पर जोरदार हमला, इस पार्टी ने भी एक स्वर में दिया बयाननियमों का पालन कर चला सकते हैं फैक्ट्री- कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कुंभ मेले के दौरान नदियों का पानी साफ और उपयोग करने लायक होता है जिससे किसी को कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन यदि याचिकाकर्ता यह भरोसा दिलाते हैं व सुनिश्चित करते हैं कि मेले के दौरान उनकी फैक्ट्रियों से नदी को दूषित नहीं किया जाएगा, तो वे अपनी फैक्टी चला सकते हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 4 जनवरी, 2019 रखी और तब तक के लिए याचिकाकर्ता को सभी नियमों को पूरा करने के निर्देश दिए। अब फैक्ट्री मालिक अपना कार्य शुरू कर सकते हैं, लेकिन उससे निकलने वाले वेस्ट मैटीरियल को किसी भी ऐसी नदी या नाले में नहीं फेंका जाएगा जिसका रास्ता गंगा से मिलता हो। फैक्ट्री मालिकों को ऐसे इंतेजाम करने के लिए निर्देशित किया गया है साथ ही यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तय किए गए मानकों के अनुरूप काम करने लिए भी कहा गया है।
2- यहां का सामान 10 विभिन्न देशों में निर्यात किया जाता है जिससे वार्षिक 600-700 करोड़ रुपए भारत में विदेशी राजस्व के रूप रूप से आता है। और सरकार को 100 करोड़ रुपये से अधिक का टैक्स भी दिया जाता है। उद्योग बंद करने से सरकार को भी बड़ा नुकसान होगा।
3- उद्योग बंद होने से 20,000 से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो जाएंगे। उनका खाना-पीना मुश्किल हो जाएगा और मुमकिन है कि वे भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएं। 4- 3 महीने के लिए उद्योगों को बंद करने से विदेशी ग्राहकों से किए गए वादे पूरे नहीं हो पाएंगे और इससे हमारे देश की छवि को भी भारी नुकसान पहुंचेगा।
इसके पहले भी टेनरी मालिको को आंशिक राहत मिल चुकी थी- इससे पहले भी उ.प्र. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने आंशिक राहत देते हुए नई प्लानिंग के तहत 15 दिसंबर से 15 मार्च तक प्रस्तावित बंदी को कैंसिल कर दिया गया था। शासन ने भी इस पर सहमति दे थी। इसमें टेनरी के अलावा अन्य उद्योगों को भी राहत मिलेगी। पॉल्यूशन बोर्ड के सदस्य सचिव के दिशा-निर्देश के मुताबिक अद्र्धकुंभ के दौरान 50 प्रतिशत क्षमता पर टेनरियों का संचालन किए जाने की बात कही गई थी।