181 वूमेन हेल्पलाइन बंद करने पर हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से मांगा जबाब
- यूपी वर्कर्स फ्रंट की पीआईएल पर दिया आदेश.

लखनऊ. महिलाओं की सुरक्षा के लिए चलाई गई 181 वूमेन हेल्पलाइन (181 helpline) को बंद किए जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) की लखनऊ पीठ ने केंद्र व राज्य सरकार से एक माह के अंदर जवाब मांगा है। न्यायामूर्ति राजन रॉय (Rajan Roy) और न्यायामूर्ति सौरभ लवानिया की खण्ड़पीठ ने यह आदेश यूपी वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर की पीआईएल (PIL) पर दिया, जिसमें कहा गया कि उत्तर प्रदेश महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा के मामले में देश में शीर्ष स्थान पर है। हाथरस, बंदायू, नोएडा, लखीमपुर खीरी से लेकर गोरखपुर तक महिलाओं के साथ बर्बर हिंसा, बलात्कार, छेड़खानी और वीभत्स हत्या की घटनाएं हो रही हैं। इन परिस्थितियों में भी सरकार ने निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा के लिए बनी जस्टिस वर्मा कमेटी की संस्तुतियों के आधार पर पूरे देश में शुरू की गई सार्वभौमिक 181 वूमेन हेल्पलाइन को बंद कर उसे पुलिस की सामान्य हेल्पलाइन 112 में समाहित कर दिया। याची ने आगे कहा कि सरकार ने इसमें काम करने वाली महिलाओं को काम से निकाल दिया और उनके वेतन तक का भुगतान नहीं किया था।
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याचिका में कहा गया कि जमीनीस्तर पर महिलाओं को रेसक्यू वैन व एक काल के जरिए महिलाओं द्वारा तत्काल मदद और स्वास्थ्य, सुरक्षा, संरक्षण आदि सुविधाएं एकीकृत रूप से देने वाले 181 वूमेन हेल्पलाइन कार्यक्रम को सरकार ने विधि के विरूद्ध व मनमर्जीपूर्ण ढंग से बंद कर दिया है।
प्रदेश सरकार ने भारत सरकार की बनाए यूनिवर्सिलाइजेशन आफ वूमेन हेल्पलाइन की गाइडलाइन्स और सरकार के ही द्वारा निर्मित प्रोटोकाल का सरासर उल्लंधन किया है।ऐसी स्थिति में प्रदेश महिलाओं की सुरक्षा के लिए 181 वूमेन हेल्पलाइन कार्यक्रम को पूरी क्षमता से चलाने का आग्रह किया गया है। कोर्ट ने याचिका पर जवाबी हलफ़नामा दाखिल करने को केंद्र व राज्य सरकार के वकीलों के आग्रह पर उनको इसके लिए चार हफ्ते का और समय दिया है। इसके बाद मामले को सूचीबद्ध करने को कहा है।
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