
FIR
लखनऊ. पुलिस और एफआईआर के नाम से डरने वाले पीड़ितों की संख्या आज भी काफी है। काफी लोग जानकारी के आभाव में FIR यानी फर्स्ट इन्फॉरमेशन रिपोर्ट (First Information Report or FIR) यानी प्राथमिकी को बहुत ही मुसीबत वाला काम समझते हैं। लेकिन किसी समस्या में फंसने पर और इंसाफ पाने के लिए एफआईआर दर्ज कराना पहली सीढ़ी चढ़ने के बराबर है। एफआईआर के संबंध में कई महत्वपूर्ण जानकारी यहां उपलब्ध है...
FIR से जुड़े नियम
1. एफआईआर ( First Information Report) पुलिस के द्वार तैयार किया जाने वाला एक दस्तावेज होता है इसमें अपराध की पूरी जानकारी लिखी जाती है। इसी के आधार पर जांच प्रक्रिया शुरु होती है।
2. भारत में किसी भी व्यक्ति द्वारा शिकायत देकर एफआईआर यानी प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है।
3. पीड़ित या शिकायतकर्ता द्वारा लिखित या मौखिक रूप से संबंधित थाने के अफसर व इंचार्ज की गई सूचना एफआईआर के रुप में लिखी जाती है।
4. शिकायत पर लिखी गई प्रथम सूचना रिपोर्ट शिकायकर्ता को पढ़कर भी सुनाई जाती है। ताकि यदि व्यक्ति पढ़ा-लिखा न भी हो तो उसे उक्त एफआईआर के संबंध में सब पता रहें।
5. एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) लिखे जाने के बाद इसकी एक कॉपी मुफ्त में थाने द्वारा पीड़ित या शिकायकर्ता को दी जाती है।
6. यदि थाने स्तर पर आपकी शिकायत नहीं सुनी जा रही है, तो आप शहर या जिले के एसएसपी या एसपी के सामने अपनी समस्या रख सकते हैं। अधिकारी अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए संबंधित थाने को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे सकता है।
7. स्पष्ट अपराधों पर एफआईआर तुरंत दर्ज होनी चाहिए, ताकि संबंधित अपराध से जुड़े सबूत नष्ट न हों। साथ ही जांच तुरंत शुरु हो सके।
8. अगर पुलिस किसी मामले में एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी करती है या मना कर देता है, तो शिकायतर्ता या पीड़ित न्यायालय में अपील कर सकता है।
9. यूपी समेत कई देश के कई प्रदेशों में कुछ मामलों के लिए ई-एफआईआर भी करा सकते हैं। इसके लिए थाने नहीं जाना पड़ेगा।
Updated on:
14 Nov 2017 03:46 pm
Published on:
14 Nov 2017 02:10 pm
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