
कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान
लखनऊ. आजकल आस्था के नाम पर बहुत से गोरखधंधे चल रहे हैं। बाजार में कई मिलावटी आस्था की सामग्रियां बिक रही हैं। इनमें से रुद्राक्ष भी एक है। आजकल बेर के बीज को भी सुखा कर रुद्राक्ष के रूप में बेचा जा रहा है। रुद्राख बेचने का यह गोरखधंधा लखनऊ समेत उत्तर भारत के अधिकांश धार्मिक स्थलों में चल रहा हैं। सर्वाधिक बिकने वाला एकमुखी रुद्राक्ष बाजार में बढ़ी मुश्किल से असली मिल पाता है।
कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान
1. असली रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को पानी में डालें अगर वह रंग छोड़ रहा है तो वह नकली है और अगर नहीं छोड़ रहा है तो रुद्राक्ष असली है।
2. रुद्राक्ष को पानी में डालने पर अगर वह पानी में डूब जाए तो रुद्राक्ष असली है।
3. रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डालने पर अगर उसका रंग एकदम गहरा हो जाए तो समझ लें कि रुद्राक्ष असली है।
4 . गहरे रंग के रूद्राक्ष को अच्छा माना जाता है और हल्के रंग वाले को नहीं। असलियत में रूद्राक्ष का छिलका उतारने के बाद उस पर रंग चढ़ाया जाता है। बाजार में मिलने वाली रूद्राक्ष की मालाओं को पिरोने के बाद पीले रंग से रंगा जाता है। रंग कम होने से कभी- कभी हल्का रह जाता है। काले और गहरे भूरे रंग के दिखने वाले रूद्राक्ष प्रायः इस्तेमाल किए हुए होते हैं, ऐसा रूद्राक्ष के तेल या पसीने के संपर्क में आने से होता है।
5 . रूद्राक्ष की पहचान सुई से भी की जाती है। अगर अगर रेशा निकले तो असली और न निकले तो नकली होगा।
6. नकली रूद्राक्ष के उपर उभरे पठार एकरूप हों तो वह नकली रूद्राक्ष है। असली रूद्राक्ष की उपरी सतह कभी भी एकरूप नहीं होगी। जिस तरह दो मनुष्यों के फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं होते उसी तरह दो रूद्राक्षों के उपरी पठार समान नहीं होते। हां नकली रूद्राक्षों में कितनों के ही उपरी पठार समान हो सकते हैं।
ऐसे पहचानें रुद्राक्ष और भद्राक्ष में अंतर
- असली रुद्राक्ष के फल में प्राकृतिक रूप से छेद होते हैं , जबकि भद्राक्ष में छेद कर इसे रुद्राक्ष के तौर पर पेश किया जाता है ।
- रुद्राक्ष की पत्तियां आरी के दांत जैसे होते हैं जबकि भद्राक्ष की पत्तियों का सिर गोलाकार होता है ।
- असली रुद्राक्ष को यदि सरसों के तेल में डूबा जाए तो यह रंग नहीं छोड़ता। नकली रुद्राक्ष रंग छोड़ सकता है ।
- पानी में डुबोने पर रुद्राक्ष डूब जाएगा जबकि नकली रुद्राक्ष पानी में डालने पर डूबेगा नहीं ।
बाजार में फाइबर व प्लास्टिक के बिक रहे रुद्राक्ष
अमीनाबाद में पूजा की सामग्री बेचने वाले व्यापारी श्याम प्रसाद ने बताया कि आजकल बाजार में प्लास्टिक व फाइबर के रुद्राक्ष मिल रहे हैं जो धड़ल्ले से बिक भी रहे हैं। इनकी पहचान करना मुश्किल है। इसके साथ ही साथ लकड़ी का रुद्राक्ष का आकार देकर या फिर टूटे रुद्राक्षों को जोड़ कर भी रुद्राक्ष बनाया जाता है। कई लोग लाभ के लालच में कैमिकल का इस्तेमाल कर इसका रंग रूप असली रूद्राक्ष जैसा कर देते है व इसके ऊपर धारिया बना कर मंहगे भाव में बेच देते है। कई बार दो रुद्राक्षों को बड़ी सफाई से जोड़ कर बेचा जाता है। आपने देखा होगा कि कई रूद्राक्षों पर गणेश, सर्प, शिवलिंग की आकृति बना कर भी लाभ कमाया जाता है।
ये रुद्राक्ष होते हैं नकली
रुद्राक्ष की भारत में कुल 33 प्रजातियां हैं। इनमें से बाजार में बेचे जा रहे तीन मुखी से नीचे और सात मुखी से ऊपर के अधिकतम रुद्राक्ष नकली होते हैं। चार, पांच व छः मुखी रुद्राक्ष ज्यादातर असली पाए जाते हैं। बाजार में ये रुद्राक्ष 1 रूपए से लेकर 30 हज़ार रूपए तक बेचे जाते हैं।
Updated on:
03 Feb 2018 01:38 pm
Published on:
03 Feb 2018 12:29 pm
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