
IIT created Artificial Hand this on Top 5 Startup in India and Foreign
किसी दुर्घटना में हाथ खो चुके लोगों और जन्मजात दिव्यागों के लिए आइआइटी ने महज 300 ग्राम का एक बैटरी चालित हाथ महज बनाया है। इस कृत्रिम हाथ की हथेली में लगाकर नेचुरल हाथ की तरह दिव्यांग काम कर सकते हैं। यह कृत्रिम हाथ और इसकी अंगुलियां सामान्य हाथ की तरह काम करता हैं।
अभी तक बाजार में जो कृत्रिम हाथ उपलब्ध हैं उनकी कीमत दो लाख के आसपास है। लेकिन इस हाथ की कीमत उससे कम रखी गयी है। इसी तरह बाजार में उपलब्ध कृत्रिम हाथ का वजन डेढ़ से दो किलो बीच होता है। लेकिन इस हाथ का वजन महज 300 ग्राम है। ग्रीस के इथाका स्थित कॉर्नेल इमर्जिंग मार्केट्स इंस्टीट्यूट के कार्नेल मार्क मोबियस कॉम्प्टीशन-2022 में इसे टॉप-5 स्टार्टअप में शामिल किया गया है। लाइफ एंड लिंब कंपनी ने आइआइटी के सहयोग से इसे डिजाइन किया है। लाइफ एंड लिंब के को-फाउंडर प्राची खरब और निशांत अग्रवाल हैं।
कैसा है आर्टिफीशियल हाथ
आइआइटी के इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर के प्रभारी प्रो. अमिताभ बंदोपाध्याय के अनुसार इस कृत्रिम हाथ से दुर्घटना में हाथ गंवा देने वाले सामान्य व्यक्ति के समान काम कर सकते हैं। सामान्य हाथ की तरह पांचों उंगुलियों का प्रयोग ग्रिप बनाने में किया जा सकता है। इससे पहले विकसित किसी भी आर्टिफिशियल हाथ में यह सुविधा नहीं थी। इसमें एक बैटरी लगी है जो हथेली में फिट होती है।
कलाई की मोटाई के हिसाब बदल जाएगी डिजाइन
प्रॉस्थेटिक एंड आर्थोस्टिक प्रैक्टिशनर सृष्टि सिंह के अनुसार अब तक के आर्टिफिशियल हाथ की हथेली में किसी तरह के इलेक्ट्रानिक्स आइटम का इस्तेमाल नहीं होता। बैटरी अलग से रखनी होती है। इस तरह वजन बढ़कर डेढ़ से दो किलो के बीच हो जाता है। लेकिन इस हाथ का वजन बैटरी सहित 300 ग्राम है। इस आर्टिफिशियल हाथ की डिजाइन 3 डी तकनीक से बदली जा सकती है। यानी कलाई की मोटाई या पतलेपन के हिसाब से हाथ की डिजाइन बदल जाएगी। इसका अंगूठा पेन व चम्मच दोनों पकडऩे में सक्षम है। इस पर पानी का भी बहुत अधिक असर नहीं होता।
Updated on:
21 May 2022 03:29 pm
Published on:
21 May 2022 03:22 pm
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