
Indian Railways Going to Change British System to Modern of Railways
जीएमसी यार्ड में ब्रिटिशकालीन से चला आ रहा ट्रेन संचालन का इंटरलॉकिंग सिस्टम को बदलने का काम रेलवे ने शुरू कर दिया है। 90 साल पुराने लीवर वाले एक हजार प्वाइंट की इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग होगी। अभी लीवर खींचकर प्वाइंट को बदलने का सिस्टम काम करता है, जिससे ट्रेनें एक से दूसरे रूट की पटरी पर जाती है। रेलवे की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर आधारित इंटरलॉकिंग का काम होने से अब कंप्यूटरीकृत सिस्टम से ही ट्रेनों को सिग्नल मिलेंगे। यह काम हरहाल में 13 अप्रैल कर पूरा हो जाएगा।
अभी दिल्ली से कानपुर-लखनऊ आने जाने वाले यात्रियों को कभी कभी आउटर पर रुकना पड़ जाता है। इसी तरह बनारस और प्रयागराज से आने जाने वाले यात्रियों को भी समस्या झेलनी पड़ती है। लेकिन यह समस्या अब दूर गई। अब ट्रेने ब्रिटिशकाल सिस्टम से न चलकर बल्कि आधुनिक सिस्टम से संचालित होंगी। इसी क्रम में के जूही यार्ड में फंसने वाली गाड़ियों की समस्या खत्म कर दी। ट्रेनों को उनके रूट से सीधे कनेक्टविटी। वहीं कुछ ट्रेने बिना सेंट्रल में जाए भी निकल सकेंगी।
+216 यार्ड से हर रूट की कनेक्टिविटी
गुड्स मार्शल स्टेशन (जीएमसी) यार्ड से रेलवे के हर रूट की कनेक्टिविटी है। दिल्ली-हावड़ा रूट पर गोविंदपुरी से लेकर अनवरगंज स्टेशन से सीधे कनेक्टिविटी है। इस यार्ड में मालगाड़ियों की जांच भी होती है। वैगन वर्कशॉप और कॉनकॉर टर्मिनल से भी इसका संपर्क है। इस बार जूही ए और बी केबिनों के पुराने लीवर फ्रेम को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से बदला जा रहा है। ये लीवर फ्रेम 90 साल से अधिक पुराने हैं।
नहीं फंसेगी दिल्ली-हावड़ा रूट की ट्रेनें
अब दिल्ली-हावड़ा रूट की ट्रेनें कहीं न फंसेंगी। ट्रेनों के आने के संकेत मिलते ही सीधे कंप्यूटर से ही सिग्नल प्वाइंट को अलर्ट किया जाएगा। जिस रूट पर ट्रेन को मोड़ना होगा, वह काम कुछ सेकेंड में ही हो जाएगा। वहीं, कानपुर के जूही यार्ड सभी स्टेशन और रूटों का केंद्र बिंदु है। गोविंदपुरी रेलवे स्टेशन से आने वाली कोई भी ट्रेन बिना सेंट्रल जाए जूही यार्ड से सीधे प्रयागराज आ जा सकती हैं।
Updated on:
10 Apr 2022 12:31 pm
Published on:
10 Apr 2022 12:30 pm
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