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अगर किसी ने पी ली है जहरीली शराब, तो इस तरह उतारें उसका नशा, खत्म हो जाएगा शरीर का सारा जहर

- जहरीली शराब पीने के बाद ऐसे बचाएं जान- मिथाइल से प्रभावित होने वालों को दी जाती है इथाइल अल्कोहल की डोज- मरीज की उम्र और वजन के हिसाब से दी जाती है डोज- कुछ मरीजों को आईवी के जरिए खून में दी जाती है डोज- मिथाइल शरीर में जाने के बाद बनाता है फार्मिक एसिड- आंख, लिवर, किडनी, हार्ट और पैंक्रियाज समेत तमाम अंग होते हैं प्रभावित

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लखनऊ

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Nitin Srivastva

May 30, 2019

jahrili sharab se bachne ke upay

अगर किसी ने पी ली है जहरीली शराब, तो इस तरह उतारें उसका नशा, खत्म हो जाएगा शरीर का सारा जहर

लखनऊ. बाराबंकी में हुए जरहीली शराब कांड में अभी मौतों का सिलसिला थमा भी नहीं था कि सीतापुर जिले से भी नया मामला सामने आया है। सीतापुर में भी जरहीली शराब पीने से तीन लोगों की मौत हो गई है। जबकि कई लोगों को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मिलावटी शराब पीने के बाद हुई मौतों के बाद सभी के मन में सवाल कौंध रहा है कि आखिर इसका जहर शरीर में कैसे फैल जाता है और इसे कैसे कम किया जाए। दरअसल मिलावटी शराब पीने से शरीर की केमिस्ट्री बिगड़ जाती है। शराब में मिला मिथाइल एक तरह का जहर है। इससे आंख की रोशनी जाने और किडनी खराब होने की आशंका रहती है।


चली जाती है आंखों की रोशनी
बाराबंकी जहरीली शराब कांड के पीड़ितों का इलाज कर रहे मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो शराब में मिथाइल मिलाए जाने की आशंका है। जो शरीर में जाने के बाद फार्मिक एसिड बनाती है। यह सेल साइटोप्लाज्म को नष्ट कर देता है। इससे सभी अंग प्रभावित होते हैं। इसका पहला असर दिमाग पर पड़ता है, जिसमें ऑप्टिकल नर्व तत्काल डैमेज होने लगती है। इससे आंखों की रोशनी जाने का खतरा रहता है। आंख की रोशनी अगर एक बार चली गई तो उसे वापस लाना नामुमकिन होता है।


किडनी पर भी पड़ता है असर
जहरीली शराब पीने का दूसरा प्रमुख असर किडनी पर पड़ता है। जिन पीड़ितों में इसका असर ज्यादा हो गया है, उन्हें जीवनभर दुश्वारियां झेलनी पड़ सकती हैं। उन्हें ताउम्र डायलिसिस का सहारा लेना पड़ेगा। इसी तरह लिवर, हार्ट, पैंक्रियाज भी प्रभावित होते हैं। मिथाइल की वजह से शरीर के विभिन्न केमिकल तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। जिससे पीड़ित हमेशा हार्मोन के असंतुलित रहने का शिकार हो जाता है। जिन लोगों पर मिलावटी शराब का कम असर होता है, उन्हें भी किडनी रोग होने का खतरा बना रहेगा।


कैसे कम करें जहरीली शऱाब का असर
मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टरों के मुताबिक मिथाइल से प्रभावित होने वालों को इथाइल अल्कोहल की डोज दी जाती है। मरीज की उम्र और वजन के हिसाब से इसकी डोज तैयार की जाती है। फिर उसे मरीज को पिलाया जाता है। वहीं कुछ मरीजों को आईवी के जरिए खून में दिया जाता है। इसके अलावा उल्टी, दस्त आदि का इलाज किया जाता है। अभी भारत में एंटी डोज नहीं होने से मरीज की रिकवरी नहीं हो पाती है। उसे बचाना मुश्किल हो जाता है।


नष्ट हो जाती हैं दिमाग की कोशिकाएं
मिथाइल शरीर में पहुंचते ही दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। इससे शरीर में सुन्नपन और अंधेपन की समस्या आ सकती है। मरीज बेहोश हो जाता है। रोशनी जाने पर दोबारा नहीं लौटती है। जिन मरीजों में इसका असर ज्यादा हो जाता है, उन्हें ताउम्र झटके आने लगते हैं। उनका दिमागी संतुलन खराब होने का डर रहता है। शरीर का बैलेंस बिगड़ सकता है। कई तरह की मानसिक बीमारियां होने की आशंका रहती है। ऐसे में प्रभावित व्यक्ति का इलाज 48 घंटे के अंदर शुरू हो जाना चाहिए। मिथाइल का असर ब्रेन, किडनी, फेफड़े सहित सभी अंगों पड़ता है। ऑप्टिकल नर्व और किडनी सबसे पहले डैमेज होती है। जहरीला एसिड होने की वजह से शरीर में मौजूद फायदेमंद एसिड नष्ट हो जाते हैं। इससे शरीर में मौजूद विभिन्न अम्ल और अन्य तत्व प्रभावित होते हैं। जिससे मरीज की हालत बिगड़ने लगती है।