
Jansatta Dal Loktantrik : राजनीतिक धुरंधर चौकन्ने, राजाभैया की पार्टी हर सीट पर उतारेगी प्रत्याशी
फैक्ट फाइल
पार्टी- जनसत्ता दल लोकतांत्रिक
स्थापना वर्ष- 2018
संस्थापक- रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. Jansatta Dal Loktantrik in uttar pradesh assembly elections 2022- पच्चीस साल पहले यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने प्रतापगढ़ के कुंडा में हुंकार भरी थी -गुंडा विहीन कुंडा करौं, ध्वज उठाय दोउ हाथ। कल्याण सिंह के बाद मायावती सरकार में भी कुंडा सियासत की केंद्र में रहा। लेकिन कल्याण सिंह या फिर मायावती ने जिस आदमी को समूल नष्ट करने का संकल्प लिया था वो अब एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रतापगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष और कुंडा के कई ब्लॉकों में सत्तारूढ़ सरकार की तमाम कवायदों के बाद रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजाभैया समर्थित उम्मीदवार ही जीते हैं। पिछले तीन दशक से प्रतापगढ़ की सियासत में निर्दल उम्मीदवार के रूप में चर्चित राजाभैया (Raghuraj Pratap Singh alias Raja Bhaiya) ने अपना जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के नाम से अपनी पार्टी बना ली है। जनसत्ता दल 2022 के विधानसभा चुनावों में यूपी की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी में है। यानी अब राजाभैया की सियासत का केंद्र प्रतापगढ़ से आगे भी विस्तारित होगा।
24 साल की उम्र में रखा सियायत में कदम
कुंडा तहसील के बेंती रियासत के रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने सिर्फ 24 वर्ष की उम्र में ही 1993 में राजनीति में हाथ आजमाया और निर्दल उम्मीदवार के तौर पर जीते। हालांकि उम्र को लेकर विवाद हुआ लेकिन कुछ हुआ नहीं। इसके बाद यह हमेशा चर्चा में रहे। मायावती के शासन में उनपर पोटा क़ानून के तहत मामला दर्ज करके जेल भेज दिया गया। यूपी की राजनीति में अपना दमखम रखने वाले राजा भैया ने नवंबर 2018 में लखनऊ जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का गठन किया। इस पार्टी के वे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। पार्टी का प्रभाव कुंडा और बाबागंज (पहले बिहार विधानसभा क्षेत्र) में ही अधिक है। जनसत्ता दल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रतापगढ़ सीट से एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह और कौशांबी से पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार को प्रत्याशी बनाया, लेकिन दोनों ही सीटों पर पराजय का सामना करना पड़ा। सियासी सफर में जनसत्ता दल के लिए दूसरा चुनाव जिला पंचायत अध्यक्ष था। मात्र 12 जिला पंचायत सदस्य होने के बावजूद जनसत्ता दल प्रत्याशी को 40 सदस्यों का वोट मिला और जिला पंचायत अध्यक्ष का कब्जा हो गया।
मायावती सरकार में आए चर्चा में
2002 में मायावती सरकार में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया मीडिया की सुर्खियों में छाए रहे। बाद में इन्होंने 2007, 2012 और 2017 का चुनाव सपा के साथ समझौते के तहत लड़ा। राज्यसभा सदस्य के चुनाव में सपा से कुछ मतभेदों के बाद नवंबर 2018 में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी का उदय हुआ।
प्रतापगढ़ की राजनीतिक के बादशाह
प्रतापगढ़ की सियासत में राजा भैया पिछले ढाई दशक से हावी हैं। चाहे वह जिला जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हो या फिर ब्लॉक प्रमुख चुनाव, उनके समर्थक ही जीतते रहे हैं। भाजपा-सपा की 5 सरकारों में राजा भैया को मंत्री बनने का रिकार्ड है। वह कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। कुंडा विधानसभा से सर्वाधिक बार निर्दलीय विधायक बनने का रिकार्ड भी राजाभैया के नाम है।
जिलों में संगठन खड़ा करना चुनौती
राजाभैया के जनसत्ता दल का आधार प्रतापगढ़, सुलतानपुर और कौशांबी जैसे जिलों में ज्यादा मजबूत है। पूरे यूपी में पार्टी का संगठन खड़ा करना जनसत्ता दल के लिए चुनौती है। पार्टी से वैचारिक आधार पर ज्यादातर जिलों में क्षत्रिय यानी उच्च वर्ग के सवर्ण ही जुड़े हैं। इस तरह पार्टी के लिए बड़ा जनाधार खड़ा करना बड़ी चुनौती है।
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Updated on:
22 Jul 2021 04:56 pm
Published on:
21 Jul 2021 06:32 pm
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