
Kamlesh Tiwari case
लखनऊ. कमलेश तिवारी हत्याकांड में लगातार नए-नए खुलासे हो रहे हैं। रविवार को जो ताजा खुलासा हुआ है उसने सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर बड़ा प्रश्न खड़ा कर दिया है। फेसबुक, ट्विटर जैसे प्लैटफार्म पर फेक अकाउंट्स की भरमाड़ है। लोग फेक अकाउंट्स बनाकर व अपनी असल पहचना छिपाकर किसी के भी करीब पहुंच सकते हैं और उन्हें नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। कमलेश तिवारी हत्याकांड इसका जीता जागता उदाहरण हैं।
ऐसे हुई जान-पहचान-
गुजरात की एटीएस ने पड़ताल की है और जारी बयान में कहा है कि हत्यारोपी अशफाक दरअसल रोहित सोलंकी बनकर कमलेश तिवारी से फेसबुक और सोशल साइट्स पर मिला था। व्यक्तिगत रूप से इससे पहले कभी दोनों में मुलाकात नहीं हुई थी। हिंदू नाम रखकर अशफाक ने कमलेश तिवारी से दोस्ती बढ़ाई और उनसे चैट किया करता था। इससे साफ है अशफाक और उसके साथियों ने हत्या की पूरी सोची-समझी रणनीति बनाई थी। और आखिर में सोशल मीडिया के जरिए ही कमलेश से मुलाकात का समय फिक्स किया। संभवतः अपने जाल में फंसाकर उनकी व घर की बाकी जानकारी भी अशफाक ने रोहित सोलंकी बनकर जुटाई। कमलेश हिंदूवादी नेता हैं, ऐसे में रणनीति के तहत इन लोगों ने भगवा चोला पहना जिससे वह घर में आसानी से दाखिल हो सकें। अंत में घर में कमलेश को मौत के घाट उतार दिया गया।
CCTV फुटेज में होटल में दिखे हत्यारें-
वहीं लखनऊ पुलिस ने राजधानी में बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस उस होटल तक पहुंच गई जहां दोनो हत्यारोपी ठहरे थे। लखनऊ के खालसा होटल में कमरा नंबर जी-103 में दोनों रुके थे। होटल में लगे सीसीटीवी फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि दोनों लोग भगवा रंग के कुर्ते पहने है। वहीं पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किए गए चाकू को भी बरामद किया है। होटल से खून में सने भगवा कपड़े व बैग भी बरामद हुए हैं।
Published on:
20 Oct 2019 08:26 pm
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
