scriptबड़ा खुलासा: रेवड़ी की तरह बंटते हैं असलहों के लाइसेंस, बुलंद होते हैं विकास दुबे जैसे अपराधियों के हौसले | Kanpur Armed License Scandal petition in Allahabad High Court | Patrika News

बड़ा खुलासा: रेवड़ी की तरह बंटते हैं असलहों के लाइसेंस, बुलंद होते हैं विकास दुबे जैसे अपराधियों के हौसले

locationलखनऊPublished: Jul 16, 2020 02:41:07 pm

(Kanpur Armed License Scandal) कानपुर के चर्चित आर्म्स लाइसेंस स्कैंडल की जांच अभी पूरी नहीं पाई है। इसी स्कैंडल की जांच सीबीआई से कराए जाने जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका अभी पेंडिंग है।

बड़ा खुलासा: रेवड़ी की तरह बंटते हैं असलहों के लाइसेंस, बुलंद होते हैं विकास दुबे जैसे अपराधियों के हौसले

बड़ा खुलासा: रेवड़ी की तरह बंटते हैं असलहों के लाइसेंस, बुलंद होते हैं विकास दुबे जैसे अपराधियों के हौसले

लखनऊ. कानपुर में विकास दुबे जैसे अपराधियों के हौसले इसलिए बुलंद थे, क्योंकि वहां आपराधिक मुक़दमे वालों को भी असलहों के लाइसेंस रेवड़ी की तरह बांटे गए हैं। पिछले साल अगस्त महीने में सत्तर से ज्यादा लोगों को आवेदन के दिन ही लाइसेंस दे दिया गया। कोई तकनीकी दिक्कत होने पर संबंधित के नाम फर्जी लाइसेंस जारी कर दिया गया। इन लाइसेंसों का कहीं कोई रिकार्ड नहीं मिला। पिछले साल जांच में जब इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ तो असलहा बाबू और कारीगर ने खुदकुशी का नाटक किया। जिसके चलते कानपुर के चर्चित आर्म्स लाइसेंस स्कैंडल की जांच अभी पूरी नहीं पाई है। इस जांच में कई बड़े अफसरों और रसूखदारों के भी फंसने का खतरा है, इसलिए जांच के नाम पर सिर्फ खानापूरी ही हो रही है। इसी स्कैंडल की जांच सीबीआई से कराए जाने जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका अभी पेंडिंग है। जिसपर हाईकोर्ट यूपी सरकार से जवाब तलब भी कर चुका है। हालांकि यूपी सरकार अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।

असलहों के लाइसेंस जारी करने में बड़ा खेल

मेरठ के सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश खुराना की याचिका में कहा गया था कि कानपुर में असलहों के लाइसेंस जारी किये जाने के नाम पर पिछले कई सालों में बड़ा खेल हुआ। चहेतों को रेवड़ी की तरह लाइसेंस बांटे गए। दागियों को भी लाइसेंस दिे गए। कई लोगों का तो पुलिस वेरिफिकेशन तक नहीं हुआ। न पुलिस की रिपोर्ट लगी और न ही एलआईयू की। कुछ ने जिस दिन आवेदन किया, उनको उसी दिन लाइसेंस दे दिया गया। पिछले साल अगस्त महीने में एक ही दिन में 73 लोगों को लाइसेंस दिए गए। इनमें से इकतीस के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज हैं।जांच में सत्तर से ज़्यादा लोगों के लाइसेंस फर्जी पाए गए। इनका कहीं कोई रिकार्ड ही नहीं।

ये हैं मास्टर माइंड

इस स्कैंडल के मास्टर माइंड कानपुर के डीएम आफिस में तैनात आर्म्स क्लर्क विनीत और प्राइवेट असलहा कारीगर जितेंद्र थे। जब मामले का खुलासा हुआ तो इनके पास से लाखों की रकम और तमाम अहम दस्तावेज बरामद हुए। जिसके बाद खुद को फंसता देख इन दोनों नशीली दवाएं खाकर खुदकुशी की कोशिश की। कई दिनों तक ये लोग आईसीयू में एडमिट रहे। कुछ छोटे लोगों को ही सस्पेंड करके मामले में इतिश्री कर लर ली गई। उसके बाद इस मामले में मेरठ के सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की।

सीबीआई जांच की मांग

याचिकाकर्ता लोकेश खुराना के वकील रंजीत सक्सेना के मुताबिक कानपुर में असलहा लाइसेंस में गड़बड़ी का मामला काफी बड़ा है। जांच वही लोग कर रहे हैं, जो खुद आरोपों के घेरे में हैं। स्थानीय प्रशासन की जांच में सिर्फ लीपापोती ही होनी है और उसमे असली खिलाड़ियों को बचाने की पूरी आशंका है। इसलिए सिर्फ सीबीआई जांच से ही जिम्मेदार लोगों की भूमिका तय कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
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