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KGMU: बिना चीरा ईयूएस विधि से पैनक्रियाटिक स्यूडो सिस्ट का हुआ इलाज

लखनऊ के मेडिकल में एंडोस्कोपी विधि से हुआ 10 से 20 मिनट में इलाज बोले डाक्टर, मरीज अस्पताल आ जाए तो बड़ी सी बड़ी बीमारी का इलाज संभव।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Mar 30, 2023

डॉक्टरों की टीम ने मिल कर इलाज

डॉक्टरों की टीम ने मिल कर इलाज

केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में अग्नाशय में स्यूडो सिस्ट का इलाज पहली बार इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड विधि से किया गया। अब तक इसके इलाज के लिए पाइप डालकर या सर्जरी करनी पड़ती थी।

मरीज ने जताई खुशी

इलाहाबाद निवासी 22 वर्षीय हर्षित यादव को पैंक्रियाटाइटिस ( अग्नाशय मे सूजन) होने के कारण उनके पेट में अग्नाशय के आसपास सड़न से बहुत ज्यादा गंदगी जमा हो गई थी, जिसके कारण पेट में लगातार दर्द, बुखार, उल्टी और खाना खाने में असमर्थता हो रही थी। इस स्यूडो सिस्ट के कारण आसपास की खून की नसें भी बंद हो गई थी, इसके लिए मरीज ने केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में सहायक आचार्य डॉक्टर अनिल गंगवार को दिखाया।

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मरीज की सहमति से इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड विधि से पेट के द्वारा मेटल स्टैंड डाला गया । इस विधि में केवल दस मिनट का समय लगा। मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और उसके दूसरे दिन छुट्टी भी दे दी गई ! डॉक्टर अनिल गंगवार ने बताया कि इस विधि को इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड सिस्टोगैस्ट्रोस्टॉमी कहा जाता है।

डॉक्टरों की टीम ने मिल कर इलाज

टीम में डॉ संजीव, डॉ कृष्ण पाल कोहली, टेक्नीशियन जितेंद्र और एनेस्थीसिया विभाग से डॉ नवीन मौजूद रहे। केजीएमयू कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डा. विपिन पुरी और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ सुमित रुंगटा ने खुशी जताते हुए पूरी टीम को बधाई दी है।

जानिए क्या होता है पैंक्रियाटाइटिस

डॉ. अनिल गंगवार ने बताया कि पैंक्रियाटाइटिस घातक एवं जटिल बीमारी होती है। यह मुख्यतः पित्त की थैली में पथरी और शराब के सेवन से होता है। इस बीमारी में पैंक्रियाज के आस-पास पस इकट्ठा हो जाता है. जो आगे चल कर बहुत सी समस्या को जन्म देता है। सर्जरी से जटिलता को कम करने के लिए एंडोस्कोपी विधि से इलाज किया गया।

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इसमें सिर्फ लगभग 10 से 20 मिनट का समय लगता है। इस प्रक्रिया में मरीज को भर्ती करना पड़ता तथा यह प्रक्रिया गंभीर मरीजों में भी की जा सकती है। जिनमें सर्जरी जोखिम भरा कार्य होता है। एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड की सभी सुविधाएं किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में उपलब्ध हैं ।