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पतंजलि की कामयाबी के पीछे बाबा रामदेव नहीं, बल्कि इस शख्स की है भूमिका

जानिये अादित्य पिट्टी के बारे में जिन्होंने पतंजली को पहुंचाया ऊचाईयों पर।

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लखनऊ

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Akansha Singh

Nov 08, 2017

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लखनऊ. आयुर्वेद की दुनिया में पतंजलि ने अपना बहुत नाम कमाया है। उत्तर प्रदेश की राजधानी में भी पतंजलि का पहुंच बहुत ऊपर तक है। यहां कपूरथला अमीनाबाद आदि जगहों पर इसके बड़े बड़े स्टोर्स जहां इसकी बिक्री होती है। लेकिन क्या आपको पता है पतंजलि की प्रसिद्धि के पीछे किसका हाथ है। आदित्य पिट्टी, जिनका आज पतंजलि की दुनिया में जाना माना नाम है।

बाबा रामदेव और आदित्य पिट्टी की चार साल पहले हुई मीटिंग दो एकदम अलग शख्सियत की मुलाकात थी। कम से कम उन दोनों के लुक के हिसाब से तो ऐसा ही था। भगवा चोले में दाढ़ी वाले रामदेव किंग्स कॉलेज लंदन से पढ़े 30 साल के नफीस आदित्य के साथ थे। लेकिन देखने में एकदम अलग इन दोनों शख्सियत जब साथ आए तो अरबों का एफएमसीजी कारोबार खड़ा हो गया।

देश की दिग्गज एफएमसीजी कंपनी पतंजलि लगभग दो दर्जन मेनस्ट्रीम एफएमसीजी प्रॉडक्ट्स- टूथपेस्ट, शैंपू और दूसरे पर्सनलकेयर प्रॉडक्ट्स से लेकर कॉर्नफ्लेक्स और इंस्टैंट नूडल्स जैसे मॉडर्न फूड प्रॉडक्ट्स बेच रही है। 2013 में लगभग बमुश्किल 1000 करोड़ रुपये की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद आज 10,500 करोड़ रुपये की हो गई है और उसकी सोल डिस्ट्रीब्यूटर पिट्टी ग्रुप का रेवेन्यू जीरो से 1,200 करोड़ रुपये हो गया।

1991 में शुरू पिट्टी ग्रुप के सीईओ पिट्टी बताते हैं, ‘मेरे पिता स्वामीजी और आचार्य बालकृष्ण से आठ नौ साल से परिचित थे। जब मैंने स्वामी जी को पतंजलि के समूचे ऑर्गनाइज्ड चैनल के लिए सप्लाई चेन नेटवर्क का सिंगलविंडो सर्विस बनाने का प्रस्ताव दिया तो उन्होंने उसको तीन चार मिनट में ही ओके कर दिया।’ पिट्टी का रियल एस्टेट का कारोबार है, स्पिरिचुअल चैनल शुभ टीवी चला रहे हैं और इनके पास फ्रोजेन चेन योगर्टबे में मेजॉरिटी स्टेक है।

यह 1997 में छोटी फार्मेसी से शुरू हुई पतंजलि चार साल पहले पिट्टी ग्रुप के साथ पार्टनरशिप के बूते देश में दशकों से जमी मल्टीनेशनल्स के दबदबे को चुनौती देने लगी। तब उसने अपने प्रॉडक्ट्स को आरोग्य केंद्र और चिकित्सालय के एक्सक्लूसिव नेटवर्क से बाहर भी बेचने का फैसला किया। पतंजलि के मॉडर्न ट्रेड डिस्ट्रीब्यूटर पिट्टी ग्रुप ने उसके प्रॉडक्ट्स की इंडियन कंज्यूमर्स के बीच एसी सुपर मार्केट्स में सस्ती दरों पर मार्केटिंग करके राष्ट्रवाद के उभार को भुनाने में बहुत मदद की।