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कैसे और किसे मिलता है हथियार का लाइसेंस, एक बार में खरीद सकते हैं कितनी गोलियां, जानें नियम और आवेदन की पूरी प्रक्रिया

Know Complete Process of How to Apply For Arms License-आर्म्स एक्ट, 1959 (Arms Act, 1959) के तहत शस्त्र लाइसेंस रखने का प्रावधान है। हालांकि यह अधिकार कुछ शर्तों के तहत है। पुलिस, सेना, सुरक्षा बलों और सिक्योरिटी एजेंसी से जुड़े लोग अपने पास हथियार रखते हैं। लेकिन क्या एक आम नागरिक भी हथियार रख सकता है। बिलकुल रख सकता है।

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Know Complete Process of How to Apply For Arms License

Know Complete Process of How to Apply For Arms License

लखनऊ. Know Complete Process of How to Apply For Arms License. भारतीय कानून देश के नागरिक को आत्मरक्षा के लिए हथियार के लिए लाइसेंस (Arms License) पाने का अधिकार देता है। आर्म्स एक्ट, 1959 (Arms Act, 1959) के तहत इसका प्रावधान किया गया है। हालांकि यह अधिकार कुछ शर्तों के तहत है। पुलिस, सेना, सुरक्षा बलों और सिक्योरिटी एजेंसी से जुड़े लोग अपने पास हथियार रखते हैं। लेकिन क्या एक आम नागरिक भी हथियार रख सकता है। बिलकुल रख सकता है। लेकिन इसके लिए उसकी वजह साफ होनी चाहिए। यानी कि आवेदक को यह सिद्ध करना होगा कि उसका प्रोफेशन ऐसा है जहां उसे हथियार की जरूरत पड़ सकती है या उसके परिवार को जान का खतरा है। अगर वजह वाजिब है तो वह हथियार के लाइसेंस के लिए अप्लाई कर सकते हैं। लेकिन हथियार रखने के लिए डीएम या जहां पुलिस कमिश्नरेट है वहां पुलिस कमिश्नर को इसकी जानकारी देनी होगी। इसके लिए अलग प्रक्रिया है।

हथियार के लाइसेंस के लिए डीएम या कमिश्नर ऑफिस में निर्धारित फार्मेट पर आवेदन करना होता है। जांच में अगर आवेदन सही पाई जाती है तो लाइसेंस दे दिया जाता है। जिलाधिकारी या कमिश्नर ऑफिस में आवेदन के बाद आवेदन पत्र पुलिस निदेशक के पास जाता है। यहां से जांच के लिए आवेदन पत्र आवेदक के लोकल ऑफिस पहुंचता है। स्थानीय पुलिस आवेदक का नाम, पता, पृष्‍ठभूमि, कामकाज व आपराधिक रिकॉर्ड है या नहीं, इसकी पूरी जानकारी खंगालती है। जानकारी ठीक पाए जाने पर आवेदन पत्र व दस्तावेज जिला क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के पास भेजा जाता है। यहां भी आवेदक के क्रिमिनल बैकग्राउंड की जानकारी खंगाली जाती है। थाने से आई रिपोर्ट को दोबारा चेक किया जाता है। इसके बाद आवेदन रिपोर्ट के साथ वापस एसपी ऑफिस भेज दिया जाता है। लेकिन प्रक्रिया यहीं खत्म नहीं होती। एसपी ऑफिस भेजने के बाद यहां कुछ कागजी औपचारिकताएं होती है, जिन्हें पूरा किया जाता है और एसपी ऑफिस से आवेदन को डीएम या पुलिस कमिश्नर के दफ्तर भेजा जाता है। आवेदक के बारे में लोकल इंटेलिजेंस यूनिट भी जांच करती है। एसपी और एलआईयू की रिपोर्ट डीएम को सौंपी जाती है। यह लाइसेंस प्रक्रिया का अंतिम चरण होता है। हालांकि, यह डीएम पर निर्भर करता है कि जांच के आधार पर वह लाइसेंस दे या न दे।

आवेदन के साथ लगने वाले जरूरी दस्तावेज

आवेदन करते वक्त एड्रेस प्रूफ, आयु प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र, इनकम सर्टिफिकेट, संपत्ति की जानकारी, मेडिकल सर्टिफिकेट, लोन या उधार ले रखा है तो उस बारे में जानकारी, नौकरी या बिजनेस की जानकारी, निशानेबाजी जैसे खेलों में शामिल खिलाड़ियों को अपने आवेदन में अपने खेल के बारे में जानकारी देनी होती है। इसके अलावा सुरक्षाबलों से सेवानिवृत लोगों को अपने संस्थान से ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (एनओसी) लेना होता है।

हथियार के प्रकार की जानकारी

हथियारों के दो प्रकार होते हैं नॉन प्रॉहिबिटेड बोर और प्रॉहिबिटेड बोर। नॉन प्रॉहिबिटेड बोर में .22 बोर की रिवॉल्‍वर, 312 बोर की राइफल और .45 बोर की पिस्टल जैसे हथियार आते हैं। इनके लाइसेंस मिल सकते हैं। जबकि प्रॉहिबिटेड बोर में .303 राइफल, 9 एमएम पिस्‍टल, मशीनगन और एके-47 जैसे सेमी और फुली ऑटोमैटिक अत्‍याधुनिक हथियार आते हैं। ऐसे हथियारों के लाइसेंस सामान्‍य लोगों को नहीं मिल सकते। ये सेना, पुलिस या सुरक्षा बलों के पास ही होते हैं। इसलिए आवेदन करते वक्त आपको यह जानकारी भी देनी होती है कि कौन सा हथियार चाहिए। एक बार लाइसेंस मिल जाने के बाद आप सरकार द्वारा निर्धारित दुकान पर जाकर विक्लप में चुने गए हथियार को खरीद सकते हैं। हथियार खरीदने के बाद इसे प्रशासन के पास ले जाना होता है। वहां पर लाइसेंस और खरीदे गए हथियार के विवरण का मिलान करके रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है। इसके साथ ही संबंधित थाने के रजिस्टर में भी यह जानकारी दर्ज करानी होती है। इतना सब करने के बाद ही आप हथियार अपने साथ घर ले जा सकते हैं।

एक बार में खरीद सकते हैं इतनी गोलियां

हथियार के लाइसेंस के साथ ही गोलियों के लिए भी आवेदन करना होता है। हथियार के लाइसेंस के साथ गोलियों की खरीद की भी इजाजत मिलती है लेकिन एक इसका एक फिक्‍स कोटा होता है। यानी कि पहले साल के लिए 200 गोलियों का कोटा निर्धारित है। राज्य सरकारें अपने हिसाब से इसे कम या ज्यादा कर सकती हैं। एक लाइसेंस पर एक व्यक्ति एक बार में अधिकतम 100 गोलियां ले सकता है। अगर गोलियां खत्म हो गई हों तो नई गोलियां खरीदते वक्त पुरानी गोलियों के बारे में पूरी जानकारी देनी होती है।

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