
ठंड से कांपे यात्री, स्टेशन बने शरणस्थल: लखनऊ में शीतलहर और कोहरे ने बिगाड़ा जनजीवन (फोटो सोर्स : WhatsApp News Group)
Cold Wave Grips Lucknow: उत्तर भारत में सक्रिय शीतलहर और घने कोहरे का असर राजधानी लखनऊ में पूरी तरह दिखा। सर्द पछुआ हवाओं और धूप की कमी ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। रेलवे स्टेशन, प्लेटफॉर्म और ट्रेनों के भीतर यात्री ठंड से कांपते नजर आए। हालात ऐसे रहे कि कई यात्रियों को घर से कंबल और रजाई लेकर सफर करना पड़ा, जबकि सैकड़ों यात्री स्टेशन के फर्श पर ठिठुरती रात गुजारने को मजबूर हुए।
शुक्रवार शाम करीब साढ़े सात बजे जब हावड़ा–जम्मूतवी हमसफर एक्सप्रेस चारबाग रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-1 पर पहुंची, तो बोगियों से उतरते यात्रियों के चेहरों पर ठंड और सफर की थकान साफ झलक रही थी। ट्रेन पहले ही कोहरे के कारण देरी से चल रही थी, ऊपर से बोगियों के भीतर ठंड से राहत न मिल पाने से यात्रियों की परेशानी और बढ़ गई। प्लेटफॉर्म पर उतरते ही यात्री ठंड से बचने के लिए अपने-अपने कंबल, शॉल और जैकेट कसते नजर आए। कुछ यात्री तो प्लेटफॉर्म पर ही धूप निकलने का इंतजार करते रहे, ताकि शरीर में थोड़ी गर्माहट आ सके।
इस बार की ठंड ने सिर्फ जनरल या स्लीपर कोच तक ही सीमित नहीं रही। आरक्षित और एसी श्रेणी के यात्री भी ठंड से बेहाल दिखे। यात्रियों का कहना है कि बोगियों के अंदर तापमान नियंत्रित रखने की व्यवस्था नाकाफी साबित हुई। लखनऊ-यशवंतपुर एक्सप्रेस और उत्सर्ग एक्सप्रेस के यात्रियों ने भी इसी तरह की परेशानी बताई। उत्सर्ग एक्सप्रेस की थर्ड एसी इकॉनमी बोगी एम-2 में सफर कर रहे कुमार राहुल ने बताया कि महंगा टिकट लेने के बावजूद पूरी रात ठंड लगती रही। सीट पर बैठे-बैठे समय काटना पड़ा। नींद आना तो दूर, ठंड से शरीर अकड़ता रहा। कुछ यात्रियों ने बताया कि बोगियों के दरवाजों और खिड़कियों से ठंडी हवा अंदर आती रही। अस्थायी तौर पर किए गए इंतजाम ठंड को रोकने में पूरी तरह नाकाम रहे।
लगातार पड़ रही कड़ाके की ठंड को देखते हुए कई यात्रियों ने एहतियातन घर से ही कंबल, रजाई और अतिरिक्त कपड़े साथ रखे। स्टेशन पर इंतजार कर रहे कुछ यात्रियों ने बताया कि ट्रेनें घंटों लेट चल रही हैं, ऐसे में खुले प्लेटफॉर्म पर बिना पर्याप्त इंतजाम के बैठना बेहद मुश्किल हो गया है। चारबाग स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 6 और 7 पर देर रात बड़ी संख्या में यात्री फर्श पर लेटे दिखे। कई लोग अपने बैग को तकिया बनाकर ठंड से बचने की कोशिश कर रहे थे।
शुक्रवार सुबह की शुरुआत ही घने कोहरे से हुई। सुबह के समय दृश्यता 50 मीटर से भी कम दर्ज की गई। इसका सीधा असर रेल संचालन पर पड़ा। कई ट्रेनें अपने तय समय से घंटों देरी से चलीं या पहुंचीं। कोहरे की वजह से लोको पायलटों को ट्रेन की रफ्तार कम रखनी पड़ी, जिससे लंबी दूरी की ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ। यात्रियों का कहना है कि ठंड और देरी का यह दोहरा असर सफर को और भी कष्टदायक बना रहा है।
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक शुक्रवार को लखनऊ का अधिकतम तापमान 15.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस ठंड के सीजन का अब तक का सबसे कम अधिकतम तापमान रहा। यह सामान्य से 7.5 डिग्री कम था। इस साल जनवरी में इससे पहले 5 और 7 जनवरी को अधिकतम तापमान 13.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। शुक्रवार का दिन 2025 का तीसरा सबसे ठंडा दिन साबित हुआ।
अधिकतम तापमान में भारी गिरावट के पीछे घना कोहरा सबसे बड़ी वजह रहा। सुबह से लेकर दोपहर करीब एक बजे तक सूर्य के दर्शन नहीं हुए। जब दोपहर में धुंध छंटी और हल्की धूप निकली भी, तो सर्द पछुआ हवाओं के सामने वह ज्यादा असर नहीं दिखा सकी। पूरे दिन शीतलहर का असर महसूस किया गया। धूप में भी हाथ-पैरों में गलन बनी रही। बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह ठंड खासतौर पर परेशानी भरी रही।
शाम ढलते ही ठंड फिर से बेकाबू होने लगी। सूरज ढलते ही सर्द हवाओं ने राजधानी को अपनी गिरफ्त में ले लिया। बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर लोगों की आवाजाही कम होती दिखी। बुजुर्गों ने घर के अंदर ही रूम हीटर या अलाव के पास समय बिताना बेहतर समझा।
मौसम विभाग ने हालांकि राहत की उम्मीद भी जताई है। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र, लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के अनुसार,रविवार से लगातार दो पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होंगे। इसके असर से दिन के तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होगी और कोहरे की तीव्रता में भी कमी आ सकती है। उन्होंने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से अगले चार से पांच दिन तक तापमान सामान्य के आसपास बना रह सकता है। हालांकि, रात की ठंड अभी कुछ दिनों तक बनी रह सकती है।
ठंड से जूझ रहे यात्रियों ने रेलवे प्रशासन से मांग की है कि प्लेटफॉर्म पर पर्याप्त अलाव और हीटर लगाए जाएं, ठंड के मौसम में बोगियों के अंदर तापमान नियंत्रण की व्यवस्था बेहतर की जाए, देर से चलने वाली ट्रेनों के यात्रियों के लिए स्टेशन पर अस्थायी विश्राम और कंबल की व्यवस्था की जाए। यात्रियों का कहना है कि हर साल ठंड के मौसम में ऐसी ही परेशानी होती है, लेकिन स्थायी समाधान अब तक नहीं निकल पाया है।
Published on:
20 Dec 2025 01:12 pm
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