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150 साल बाद रेलवे स्टोशनों पर होने जा रहा है बहुत बड़ा बदलाव, नहीं मिलेंगे यह बड़े स्टोर्स

locationलखनऊPublished: Oct 16, 2018 05:09:50 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

भारतीय रेलवे में 150 साल बाद एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है।

AH wheeler

AH wheeler

पत्रिका इन्डेप्थ स्टोरी.
महेंद्र प्रताप सिंह.
लखनऊ. भारतीय रेलवे में 150 साल बाद एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। रेलवे स्टेशनों पर जगह बढ़ाने के लिए रेलवे स्टेशनों पर लगे स्टॉल की संख्या घटने जा रही है। इसी क्रम में एएच व्हीलर बुक स्टोर्स भी हटेंगे। देश के लगभग हर स्टेशन पर एएच व्हीलर बुक स्टोर्स को देखकर आपके मन में भी यह बात जरूर कौंधती होगी कि आखिर इस स्टोर्स का नाम एएच व्हीलर ही क्यों है। और यह दुकान देश के हर छोटे-बड़े स्टेशन पर क्यों दिख जाती है। बहरहाल, बहुत जल्द ही देश के रेलवे स्टेशनों से एएच व्हीलर बुक स्टोर्स की विदार्द हो जाएगी। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एएच व्हीलर्स का उप्र से बहुत ही गहरा नाता है।
एएच व्हीलर की कहानी नहीं जानते हैं तो आइए हम आपको बताते हैं हर स्टेशन पर खुली इस दुकान का राज। दरअसल, स्टेशन के बुक स्टाल्स पर लिखे ए.एच. व्हीलर का सीधा और गहरा संबंध उप्र के दो शहरों कानपुर और इलाहाबाद से है। 1857 की क्रान्ति के दौर में कानपुर में एक अंग्रेज अधिकारी हुआ करता था जिसका नाम था आर्थर हेनरी व्हीलर यानी एएच व्हीलर। 1857 में बिठुर में भी भीषण क्रान्ति हुई। जिसमें नाना साहब, तात्या टोपे आदि की क्रांति को अंग्रेजों ने बलपूर्वक कुचल दिया। एएच व्हीलर के नेतृत्व में ही इस विद्रोह को कुचला गया। इस विद्रोह में करीब 24 हजार लोग मारे गए थे। इसी आर्थर हेनरी व्हीलर ने अंग्रेज सेना से रिटायर होने के बाद इंग्लैण्ड में अपनी बुक स्टोर्स की श्रृंखला खोली। इसका नाम उसने रखा ए.एच. व्हीलर बुकस्टोर्स। यानी आर्थ हेनरी व्हीलर बुक स्टोर। व्हीलर के दामाद मार्टिन ब्रांड और एएच व्हीलर के को-फाउंडर और फ्रांसीसी लेखक एमिली एडवर्ड या मोरेयू ने टी.के.बनर्जी के साथ मिलकर भारतीय रेलवे स्टेशनों पर एएच व्हीलर के नाम से बुक स्टोर्स खोले। भारत में पहला एएच व्हीलर का पहला स्टॉल 1877 में इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर खुला था। चूंकि तब मार्टिन ब्रांड का एक रिश्तेदार तब अंग्रेजों की रेलवे में बड़ा कॉमर्शियल अधिकारी था। इसलिए पूरे भारत के रेलवे स्टेशनों पर ए.एच. व्हीलर बुक स्टोर्स खोलने का करार हुआ। कंपनी का दूसरा स्टोर हावड़ा रेलवे स्टेशन और तीसरा नागपुर स्टेशन पर खोला गया। धीरे-धीरे कंपनी का नेटवर्क बढ़ता गया। 1930 में टीके बनर्जी 100 प्रतिशत शेयर लेकर कंपनी के मालिक हो गए। टीके बनर्जी के परपोते और वर्तमान में कंपनी के निदेशक अमित बनर्जी हैं। आज एएच व्हीलर एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने 10 हजार से अधिक नौकरी करते हैं। कंपनी की 78 फीसदी कमाई न्यूजपेपर और मैगजीन से होती है। 20 प्रतिशत कमाई किताबों और दो फीसदी का कमाई का जरिया सरकारी प्रकाशन और टाइम टेबल से है।
दिलचस्प कहानी है बुक स्टोर्स खुलने की-
कहते हैं कि मोरे को किताबों का बहुत शौक था। घर में किताबें इधर-उधर बिखरी रहती थीं। एक दिन उनकी पत्नी ने गुस्से में आकर चेतावनी दे दी की किताबें नहीं हटाई तो उन्हें बाहर फेंक दूंगी। इसके बाद मोरे ने टीके बनर्जी के सहयोग से रेलवे अधिकारियों से अनुमति लेकर इलाहाबाद रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर एक चादर बिछाकर अपनी पुरानी किताबों को भारी छूट पर बेचना शुरू कर दिया। कंपनी में एक प्रतिशत शेयर लंदन की कंपनी एएच व्हीलर का है। तब इसमें 59 प्रतिशत हिस्सा मोरे, 40 प्रतिशत टीके बनर्जी और एक प्रतिशत हिस्सा आर्थ हेनरी व्हीलर (एएच व्हीलर) के दामाद मार्टिन ब्रांड का था।
क्यों हटाए जा रहे हैं एएच व्हीलर बुक स्टोर्स-
दरअसल, रेलवे बोर्ड ने स्टेशनों से एएच व्हीलर बुक स्टोर्स को हटाने के लिए एक पॉलिसी बनाई है। इसका उदे्श्य रेलवे स्टेशन और प्लेटफार्म पर जगह बढ़ाना है। रेलवे बोर्ड की मंशा है कि स्टेशनों के स्टॉल मल्टी पर्पस बनें। इन पर किताब, मैगजीन, न्यूज पेपर्स के साथ दवाई, पैकेज्ड पानी की बॉटल, चिप्स, बिस्किट और दूध का पाउडर जैसी चीजें भी मिलें। अभी सभी के लिए अलग-अलग स्टोर हैं। मल्टी पपर्स स्टोर्स होने से प्लेटफार्म पर जगह खाली होगी और यात्रियों को सुविधा मिलेगी। हालांकि, एएच व्हीलर ने इसका विरोध किया है। फिर भी यह योजना पहले चरण में सेंट्रल रेलवे जोन में लागू होगी। मुंबई में स्टेशन से एएच व्हीलर बुक स्टोर्स को हटाने के लिए पत्र भेजा जा चुका है। सेंट्रल रेलवे के मुताबिक नए नियम के तहत एक कंपनी एक जोन में 10 से ज्यादा मल्टी पर्पज स्टॉल नहीं हो सकते। अभी सेंट्रल रेलवे में सबअर्बन नेटवर्क पर ही एएच व्हीलर के 18 स्टॉल हैं। एएच व्हीलर के स्टॉल कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने पर बंद हो जाएंगे।
रेलवे को मिलता है इतना फायदा-
एएच व्हीलर अपने सालाना टर्नओवर का 5 फीसदी रेलवे को फीस के तौर पर देता हैं। नई गाइडलाइंस के मुताबिक टर्नओवर का 12 फीसदी देना होगा। इस समय देश के 258 रेलवे स्टेशनों पर कंपनी के 378 स्टोर चल रहे हैं।
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