
CM Yogi Adityanath symbolic photo
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने यूपी की योगी सरकार के पहले कार्यकाल में 2018 के बाद 1300 से ज्यादा अवैध निर्माण ध्वस्त करने के आदेश जारी हुए। लेकिन इनमें सिर्फ 12 को ही गिराया जा सका है। इसके अलावा 700 से अधिक अवैध निर्माणों को सील करने का आदेश दिया गया, लेकिन वहां भी ऐसी कोई कार्रवाई नजर नहीं आ रही है. उसमें भी एलडीए के अधीकारी पूरी तरह से कागजों में ही उलझे हुए हैं। अब अगर इन आंकड़ो पर गौर करें तो साफ तौर पर देखा जा सकता है किं, तत्कालीन 2 बड़े आईएएस अधिकारियों ने कोई काम नहीं किया, या फिर वो सरकार को गलत रिपोर्टिंग करते रहे हैं। मामला चाहे जो भी हो सच्चाई यही है कि योगी के बुलडोजर पर ब्रेक लगाने वाले और सरकार को गलत रिपोर्ट देने वाले ऐसे आईएएस अधिकारियो का अब क्या होगा? हाल ही में आईएएस अभिषेक प्रकाश को हटाकर आईएएस डॉ इंद्र मणि त्रिपाठी को वीसी बनाया गया है।
एलडीए में ज्वाइन करने वाले आईएएस डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने जब पिछले दिनों बैठक कि, तो उनके सामने चौंकाने वाले तथ्य आए. 2018 से अब तक कुल 4,624 अवैध निर्माण सम्बन्धित मुकदमें एलडीए ने दर्ज किए। जिनमें से 3061 वाद अब भी चल रहे हैं. इनमें भी लगभग 1500 वाद ऐसे हैं, जो एक वर्ष से भी अधिक पुराने हैं. वर्ष 2018 से अब तक सीलिंग के 750 आदेश जारी किये गए हैं. ध्वस्तीकरण के लगभग 1300 आदेश हुए हैं. उन्होंने पाया कि इनमें से अधिकांश केवल कागजों में होते हुए नजर आ रहे हैं, जबकि जमीन पर कुछ भी नहीं हो रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल है की ऐसा क्या हुआ कि ऐसे किसी मामले में कोई कार्यवाई तक नहीं हुई।
लखनऊ विकास प्राधिकरण केवल माफियाओं पर कार्रवाई करने तक सीमित रहा. गाजीपुर के बाहुबली मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माण गिरा दिए गए वह चाहे हजरतगंज में हो, जियामऊ में हो या फिर डाली बाग में. इसके अलावा बसपा से जुड़े पूर्व सांसद दाउद अहमद की एक बिल्डिंग गोलागंज में ध्वस्त की गई. मुख्तार अंसारी से जुड़ा हुआ ड्रैगन माल कैसरबाग में ध्वस्त किया गया. बस यही गिने-चुने अवैध निर्माणों पर एलडीए ने कार्रवाई की है.
गोमती नगर से लेकर आलमबाग तक अवैध निर्माण
बालू अड्डा इलाके में यजदान बिल्डर ने एलडीए की नजूल की जमीन पर अवैध बिल्डिंग बनाई. इसको जोर-शोर से तोड़ने का दावा किया गया, लेकिन केवल छज्जे और दीवारों में छेद करके ही छोड़ दिया. यहां कभी भी बिल्डर दोबारा निर्माण कर सकता है. लखनऊ विकास प्राधिकरण का दावा था कि इस जमीन को बिल्डर से वापस लिया जाएगा. यह भी नहीं हो सका. इसी तरह से शहर के बाहरी इलाकों में अवैध काॅलोनियों के साइट ऑफिस तोड़कर लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी अपनी पीठ थपथपाते हैं.
एलडीए के अधिकारी स्टे मिलने तक करते हैं इंतज़ार
लखनऊ विकास प्राधिकरण इस बात का इंतजार करता रहता है कि स्टे आएगा तो बिल्डिंग को बख्श दिया जाएगा. इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि इस मामले में हम नई प्रवर्तन कोर्ट शुरू कर रहे हैं, ताकि जल्दी से जल्दी केसों को निपटाया जाए. हम तेजी से अवैध निर्माणों पर कार्रवाई कर सकें.
Published on:
13 Jul 2022 11:59 pm
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