
Lok sabha elections 2024
Lok Sabha Election 2024: 2013 में मुजफ्फरनगर दंगे के बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव को भाजपा ने ध्रुवीकरण के हथियार से चुनावी धार दी थी। यहां से निकली भगवा लहर का असर पूरे देश में महसूस किया गया था। इसका यह असर हुआ था कि उत्तर प्रदेश से एक भी मुस्लिम लोकसभा नहीं पहुंचा था। हालांकि 2019 में पश्चिम में भगवा लहर की गति मंद हुई थी।
भाजपा इस बार भी ध्रुवीकरण की पगडंडी पर चलती दिखाई दे रही है। धारा 370, राम मंदिर और सीएए उसके हथियार हैं। इससे इतर 2019 के चुनाव में सपा, बसपा और रालोद का गठबंधन था। कांग्रेस का किसी से मेल नहीं था। भाजपा पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ गठबंधन के साथियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी। इस बार सपा और कांग्रेस का गठबंधन है तो रालोद अब एनडीए का हिस्सा है। बसपा अकेले चुनावी रण में है।
सपा-कांग्रेस मुस्लिम वोटरों के साथ जातीय समीकरण पर भरोसा कर रही हैं। भाजपा ने रालोद से दोस्ती कर सारे कील- कांटे दुरुस्त करने की पूरी कोशिश की है। कई बड़े चेहरे इस बार मैदान में नजर नहीं आएंगे। चौधरी चरण सिंह की विरासत संभालने वाले चौधरी अजित सिंह (Chaudhary Ajeet Singh) अब इस दुनिया में नहीं हैं। अजित सिंह की विरासत अब उनके बेटे जयंत चौधरी ( Jayant Chaudhary) संभाल रहे हैं।
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अजित सिंह 2019 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के साथ मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar Lok Sabha seat) से चुनाव लड़े थे और मामूली अंतर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। गाजियाबाद के मौजूदा सांसद जनरल वीके सिंह और मेरठ के तीन बार के सांसद राजेंद्र अग्रवाल के टिकट को भी लेकर फिलवक्त अटकलें हैं। वहीं बागपत सीट रालोद के खाते में जाने से मौजूदा सांसद सत्यपाल सिंह चुनाव से बाहर हो गए हैं। रालोद ने यहां से डॉ. राजकुमार सांगवान को अपना प्रत्याशी बनाया है। मेरठ से याकूब कुरैशी चुनाव लड़ेंगे इसकी संभावना बहुत कम है। पिछली बार वह सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी थे और बसपा के टिकट पर मैदान में थे।
Updated on:
17 Mar 2024 11:07 am
Published on:
17 Mar 2024 11:03 am
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