scriptLord Vishnu Temple : ऐसा दिखेगा इटावा में भगवान विष्णु का भव्य मंदिर, अखिलेश यादव करवाएंगे निर्माण | lord vishnu temple built in etawah like angkor wat cambodia | Patrika News

Lord Vishnu Temple : ऐसा दिखेगा इटावा में भगवान विष्णु का भव्य मंदिर, अखिलेश यादव करवाएंगे निर्माण

locationलखनऊPublished: Aug 23, 2018 03:54:28 pm

Lord Vishnu Temple : अखिलेश यादव ने खुद इस बात का ऐलान करते हुए कहा है कि अब भगवान विष्णु का नगर इटावा विकसित किया जाएगा।

lucknow

ऐसा दिखेगा इटावा में भगवान विष्णु का भव्य मंदिर, अखिलेश यादव करवाएंगे निर्माण

लखनऊ. चुनावी सरगर्मियों के बीच जहां अभी तक सिर्फ अयोध्या में Ram Mandir को लेकर बीजेपी शिगूफा छोड़ती रहती थी, तो वहीं अब अखिलेश यादव ने इटावा में भगवान विष्णु का भव्य मंदिर बनाने का ऐलान किया है। अखिलेश यादव ने खुद इस बात का ऐलान करते हुए कहा है कि अब Lord Vishnu का नगर इटावा विकसित किया जाएगा। इटावा में विष्णु भगवान का मंदिर बनेगा और यह मंदिर कंबोडिया के अंगकोरवाट मंदिर की तरह ही भव्य होगा। आइये जानते हैं विश्व प्रसिद्द इस मंदिर के बारे में…

यह भी पढ़ें – बीजेपी सोचती रह गई और अखिलेश यादव मार ले गए दांव, कर दिया धमाकेदार ऐलान

lucknow

ये है Angkor Wat Mandir का इतिहास
अंकोरवाट कम्बोडिया, जिसे पुराने लेखों में कम्बुज भी कहा गया है। यहां भारत के प्राचीन और शानदार स्मारक हैं। यहाँ संसार-प्रसिद्ध विशाल विष्णुमंदिर है। अंकोरवाट मन्दिर अंकोरयोम नामक नगर में स्थित है, जिसे प्राचीन काल में यशोधरपुर कहा जाता था। अंकोरवाट जयवर्मा द्वितीय के शासनकाल (1181-1205 ई.) में कम्बोडिया की राजधानी था। यह अपने समय में संसार के महान् नगरों में गिना जाता था और इसका विशाल भव्य मन्दिर अंकोरवाट के नाम से आज भी विख्यात है। Angkor Wat Mandir Cambodia का निर्माण कम्बुज के राजा सूर्यवर्मा द्वितीय (1049-66 ई.) ने कराया था और यह मन्दिर विष्णु को समर्पित है।

 

lucknow

मंदिर की विशेषताएं
मंदिर के चारों ओर एक गहरी खाई है जिसकी लंबाई ढाई मील और चौड़ाई 650 फुट है। खाई पर पश्चिम की ओर एक पत्थर का पुल है। मंदिर के पश्चिमी द्वार के समीप से पहली वीथि तक बना हुआ मार्ग 1560 फुट लंबा है और जमीन से सात फुट ऊंचा है। पहली वीथि पूर्व से पश्चिम 800 फुट और उत्तर से दक्षिण 675 फुट लंबी है। मंदिर के मध्यवर्ती शिखर की ऊंचाई भूमितल से 210 फुट से भी अधिक है। Angkor Wat Mandir की भव्यता तो उल्लेखनीय है ही, इसके शिल्प की सूक्ष्म विदग्धता, नक्शे की सममिति, यथार्थ अनुपात तथा सुंदर अलंकृत मूर्तिकारी भी उत्कृष्ट कला की दृष्टि से कम प्रशंसनीय नहीं है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खास बात यह भी है कि यह विश्व का सबसे बड़ा विष्णु मंदिर भी है। इसकी दीवारें रामायण और महाभारत जैसे विस्तृत और पवित्र धर्मग्रंथों से जुड़ी कहानियां कहती हैं।

 

lucknow

तीन खण्ड में विभाजित है मंदिर
Bhagwan Vishnu का यह मन्दिर एक ऊचे चबूतरे पर स्थित है। इस मंदिर में तीन खण्ड हैं। प्रत्येक में सुन्दर मूर्तियां हैं और प्रत्येक खण्ड से ऊपर के खण्ड तक पहुंचने के लिए सीढ़ियाँ हैं। प्रत्येक खण्ड में आठ गुम्बज हैं, जिनमें से प्रत्येक 180 फ़ुट ऊंची है। मुख्य मन्दिर तीसरे खण्ड की चौड़ी छत पर है। उसका शिखर 213 फ़ुट ऊंचा है और यह पूरे क्षेत्र को गरिमा मंडित किये हुए है। मन्दिर के चारों ओर पत्थर की दीवार का घेरा है जो पूर्व से पश्चिम की ओर दो-तिहाई मील और उत्तर से दक्षिण की ओर आधे मील लम्बा है। इस दीवार के बाद 700 फ़ुट चौड़ी खाई है, जिस पर एक स्थान पर 36 फ़ुट चौड़ा पुल है। इस पुल से पक्की सड़क मन्दिर के पहले खण्ड द्वार तक चली गयी है। इस प्रकार की भव्य इमारत संसार के किसी अन्य स्थान पर नहीं मिलती है। भारत से सम्पर्क के बाद दक्षिण-पूर्वी एशिया में कला, वास्तुकला तथा स्थापत्यकला का जो विकास हुआ, उसका यह मन्दिर चरमोत्कृष्ट उदाहरण है।

lucknow

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है नाम
फ्रांस से आजादी मिलाने के बाद यही मंदिर कंबोडिया की पहचान बन गया। इस मंदिर की तस्वीर कंबोडिया के राष्ट्रिय ध्वज पर भी है। मिकांक नदी के किनारे बसे इस मंदिर को टाइम मैगजीन ने दुनिया के 5 आश्चर्यजनक चीजों में शुमार किया था। इस मंदिर को 1992 में यूनेस्को ने विश्व विरासत में भी शामिल किया है। साथ ही इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज किया गया है।

मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
– एक मान्यता के अनुसार, स्वयं देवराज इन्द्र ने महल के तौर पर अपने बेटे के लिए इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में करवाया था।
– ऐसा कहा जाता है कि राजा सूर्यवर्मन हिन्दू देवी-देवताओं से नजदीकी बढ़ाकर अमर बनना चाहता था। इसलिए उसने अपने लिए एक विशिष्ट पूजा स्थल बनवाया जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश, तीनों की ही पूजा होती थी।
– यह बताया जाता है कि यह मंदिर कई सालों तक गायब रहा। 19वीं शताब्दी के मध्य में एक फ्रांसीसी पुरातत्वविद हेनरी महोत ने अंगकोर की गुमशुदा नगरी को फिर से ढूंढ़ निकाला।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो