
होली का हुड़दंग अपनों के संग
लखनऊ में होली तो सभी जगह एक ही दिन मनाई जाती है, लेकिन खास बात यह है कि चौक के सर्राफा व्यापारियों की होली एक दिन पहले होती है। जिसमें वे सभी एक -दूसरे पर रंग डालते है और गले मिलते हैं। गुझियां और अन्य पकवानों के का मजा लेते हैं। यह परम्परा सौ साल से ज्यादा समय से चली आ रही है। बुर्जुगों की डाली गई इस परम्परा को लखनऊ के युवा इसको बहुत ही अच्छे तरीके से आगे ले जा रहे हैं। ऐसा सिर्फ इसी शहर में और इसी क्षेत्र में ही होता है।
महिलाएं और बच्चे नहीं होते शामिल
चौक सर्राफा एसोसिएशन के महामंत्री विनोद माहेश्वरी बताते हैं कि बाजार में पूर्व व्यवसायी गोंविद वर्मा, गेंदा लाल माहेश्वरी, दिक्कन भैया व राजनेता रहे कन्हैया लाल महेन्द्रू इत्यादि लोगों ने मिलकर इस परम्परा को डाला था। तब से हर साल होली के एक दिन पहले से इस बाजार में होली खेली जाती है। चौक के गोल दरवाजे से लेकर, लगभग आधे किलोमीटर के दायरे में खूब अबीर, गुलाल और रंग चलता है। उन्होंने कहा कि इसमें दूसरे लोग भी शामिल हो सकते हैं, लेकिन महिलाओं और बच्चों पर रंग नहीं डाला जाता है। होली के बाद स्वादिष्ट पकवान और ठंडाई पीने का दौर शुरू होता है।
व्यापारी चला रहे पुरानी परम्परा
चौक बाजार के सर्राफा व्यापारी राजकुमार वर्मा, देवेंद्र वर्मा, अधीश जैन, अतुल गुप्ता और सुजीत आदि सभी व्यापारी इस परम्परा को आगे बढ़ा रहे है। विनोद बताते हैं कि पहले केवल रंग ही चलता है, पर अबीर गुलाल व फूलों की होली भी खेली जाती है।
Published on:
08 Mar 2023 05:38 pm
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