नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि वर्ष 2007 में नियमों को ताक पर रखकर निकहत अफलाक को बंगले का आवंटन किया गया था। उस समय वह रामपुर में अध्यापक के पद से रिटायर हुई थीं। जांच में आवंटन गलत मिलने पर मकान खाली करने की नोटिस दी गई थी। उन्होंने बताया कि मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में बंगले का ताला खुलवाया जाएगा और जो भी सामान होगा उसकी नीलामी कराई जाएगी। भवन का किराया प्रति माह एक हजार रुपए निर्धारित था। हालांकि, आजम की बहन ने नोटिस को साक्ष्य विहीन बताते हुए जवाब दिया था। वहीं, नगर निगम ने शासनादेश का हवाला देते हुए कहा कि वह न तो लखनऊ की निवासी हैं और न ही नगर निमम की कर्मचारी हैं।
वर्ष 2007 में आवंटित हुआ था बंगला
वर्ष 2007 में मुलायम सिंह यादव की सरकार में यह बंगला उन्हें आवंटित किया गया था। रामपुर निवासी एक व्यक्ति की शिकायत के बाद पाया गया कि नियमों को ताक पर रखकर उन्हें बंगला आवंटित किया गया था, जिसके बाद नगर निगम उन्हें मकान खाली करने का नोटिस जारी किया था।
वर्ष 2007 में मुलायम सिंह यादव की सरकार में यह बंगला उन्हें आवंटित किया गया था। रामपुर निवासी एक व्यक्ति की शिकायत के बाद पाया गया कि नियमों को ताक पर रखकर उन्हें बंगला आवंटित किया गया था, जिसके बाद नगर निगम उन्हें मकान खाली करने का नोटिस जारी किया था।