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केजीएमयू का कमाल, अब वो पुरुष बन गया है…

अब वह पुरुष बन गया है। खशी उसके चेहरे से दिखाई दे रही है। केजीएमयू के डाक्टरों ने 21 साल तक कुदरत से हुई एक गलती को सुधार दिया। सर्जरी से युवक के अर्ध विकसित महिला जननांगों को हटाकर उसे पूर्ण पुरुष बना दिया है। अब मन के साथ तन से भी वह पुरुष हो गया है।

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केजीएमयू का कमाल, अब वो पुरुष बन गया है...

केजीएमयू का कमाल, अब वो पुरुष बन गया है...

अब वह पुरुष बन गया है। खशी उसके चेहरे से दिखाई दे रही है। केजीएमयू के डाक्टरों ने 21 साल तक कुदरत से हुई एक गलती को सुधार दिया। सर्जरी से युवक के अर्ध विकसित महिला जननांगों को हटाकर उसे पूर्ण पुरुष बना दिया है। अब मन के साथ तन से भी वह पुरुष हो गया है। चिकित्सकीय भाषा में इस प्रक्रिया को फैलस रीकंस्ट्रक्शन कहते हैं। अंबेडकरनगर के इस युवक की समस्या का निदान केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ विश्वजीत सिंह और उनकी टीम ने किया।

आधा पुरुष आधी महिला

अंबेडकरनगर एक युवक जब 21 साल का हुआ तो उसने अपने शरीर में कई बदलाव महसूस किए। सभी बड़े अस्पतालों में चक्कर लगाने के बाद वह केजीएमयू पहुंचा। जहां यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ विश्वजीत सिंह ने ओपीडी में उसकी परेशानी को सुनी। अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन सहित जांच कराई गई। पता चला कि, उसके जननांग का बाहरी हिस्सा पुरुष का था पर आंतरिक हिस्सा महिला का। उसका एक अंडकोष बाहर था जबकि दूसरा अंदर की तरफ। अंदर की तरफ महिला जननांग बना था। बच्चेदानी, अंडाशय, फेलोपियन ट्यूब आदि अर्ध विकसित स्थिति में थे। यह एक जेनेटिक डिसआर्डर है। इस तरह के मरीज को चिकित्सकीय भाषा में मिक्सगोलेडल कहा जाता है।

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अब वह पुरुष बन गया

प्रो. विश्वजीत ने बताया कि, युवक का गुणसूत्र अनुवांशिक रूप से एक्स-एक्स महिला का था। उसने काउंसिलिंग में बताया था कि वह पुरुष की जिंदगी जीना चाहता है। उसकी इच्छा को देखते हुए उसे पुरुष बनाने का फैसला लिया गया। सर्जरी करके सभी महिला जननांग निकाल दिए गए। उसके अर्धविकसित पुरुष जननांग को सर्जरी फेलोप्लास्टी से आकार दिया गया। अंडकोश को दुरुस्त किया गया है। अब वह पुरुष की तरह महसूस कर रहा है।

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एक लाख में एक व्यक्ति को होती है यह समस्या

प्रो. विश्वजीत ने बताया कि, यह समस्या करीब एक लाख व्यक्ति में किसी एक में मिलती है। एक अनोखा मामला था। सर्जरी के बाद के हालात से पता चलता है कि, युवक शारीरिक संबंध बनाने में पूरी तरह से सक्षम है। शुक्राणु कितने होंगे, जांच के बाद पता चलेगा। केजीएमयू में मरीज से सिर्फ कुछ प्राथमिक जांच का खर्च ही लिया गया। बाकी सारा खर्च विश्वविद्यालय ने उठाया है। विभाग की ओर से इस तरह की यह पहली सर्जरी है।

सर्जरी टीम -

सर्जरी टीम में प्रो. विश्वजीत सिंह, डॉ. नवनीत, डॉ, जयेश, डॉ. अंकुश, डॉ. कृष्णा और एनेस्थिसिया विभाग से डॉत्र रजनी गुप्ता शामिल थी।