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लखीमपुर खीरी हिंसा में योगी सरकार की स्टेटस रिपोर्ट से सुप्रीम कोर्ट नाखुश, रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच का सुझाव

- लखीमपुर खीरी हिंसा केस में चार किसानों और एक स्थानीय पत्रकार सहित आठ लोग मारे गए थे। दो वकील ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी। तभी से सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है।

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'का' पर सुप्रीम कोर्ट का रोक लगने से इनकार, केंद्र सरकार को नोटिस जारी

लखनऊ. Lakhimpur Kheri violence लखीमपुर खीरी हिंसा पर यूपी सरकार की दायर स्टेटस रिपोर्ट से नाखुश सुप्रीम कोर्ट ने कहाकि, यह हमारी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रहा है। स्टेटस रिपोर्ट में यह कहने के अलावा कुछ भी नहीं कि और गवाहों से पूछताछ की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को सुझाव देते हुए कहाकि, लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी करा सकते हैं। और शुक्रवार तक अपना रुख स्पष्ट करें।

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट अब 8 नवंबर को करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट की फटकार :- सुप्रीम कोर्ट ने फटकारते हुए यूपी सरकार से पूछा कि, सिर्फ आशीष मिश्रा का फोन ही क्यों जब्त किया गया है और दूसरों के क्यों नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि केस में सबूतों का कोई घालमेल न हो, हम मामले की जांच की निगरानी के लिए एक अलग हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज को नियुक्त करने के इच्छुक हैं।

रिटायर्ड जज कर सकते हैं जांच की निरानी :- सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन (सेवानिवृत्त) या न्यायमूर्ति रंजीत सिंह (सेवानिवृत्त) लखीमपुर खीरी जांच की देखरेख कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में अलग-अलग एफआईआर में गवाहों की मिलीभगत पर असंतोष व्यक्त किया।

26 अक्टूबर को हुई थी सुनवाई :- प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सुनवाई की। इससे पूर्व इसी पीठ ने 26 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई की थी। दो अधिवक्ताओं ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी। इसी पृष्ठभूमि में न्यायालय मामले की सुनवाई कर रहा है।