
आरएसएस के स्कूल बन रहे मुस्लिम छात्रों की पहली पंसद, तीन साल में 2147 छात्रों ने लिया एडमिशन
लखनऊ. स्कूल में मुस्लिम छात्र 'श्लोकों' और 'मंत्रों' का पाठ करते अगर दिख जाएं तो चौंक मत जाइएगा। क्योंकि 'विद्या भारती' के स्कूलों में इसकी शिक्षा दी जाती है। विद्या भारती के स्कूलों में पिछले तीन साल में मुस्लिम छात्रों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। विद्या भारती, आरएसएस की शिक्षा शाखा है। आरएसएस का कहना है कि इन स्कूलों में अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती है जिसकी वजह से इन स्कूलों में मुस्लिम छात्रों की संख्या बढ़ रही है। इसके साथ विद्या भारती इन स्कूलों में मुस्लिम समुदाय के टीचरों की भर्ती लगातार कर रहा है।
संघ के इन स्कूलों में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्र बाकी छात्रों के संग बैठकर श्लोक और भोजन के वक्त मंत्रों को बोलते हैं। मुस्लिम बच्चे यहां सूर्य नमस्कार भी करते हैं। यह छात्र पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी बहुत अच्छे हैं।
विद्या भारती के अंदर पूर्वी उत्तर प्रदेश में 49 जिले आते हैं। इन 49 जिलों में संघ के 1194 स्कूल संचालित होते हैं। इन स्कूलों में आज की तारीख में करीब 9 हजार मुस्लिम बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। और पूरे यूपी में करीब 12,000 मुस्लिम और ईसाई छात्र इन स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करते हैं। आरएसएस के अधिकतर स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में चलते हैं।
एक अंग्रेजी खबर के अनुसार, विद्या भारती के अतिरिक्त सचिव (पूर्वी उत्तर प्रदेश) चिंतामणि सिंह ने कहा, 'हम अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देते हैं, यही वजह है जिससे मुस्लिम छात्रों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2016 में 49 जिलों वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश में हमारे स्कूलों में मुस्लिम छात्रों की संख्या 6,890 थी, यह 2019 में बढ़कर 9,037 हो गई है।' प्रदेश में विद्या भारती स्कूलों में लगभग छह लाख छात्र पढ़ते हैं, जिनमें अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। चिंतामणि ने कहा, पूरे उत्तर प्रदेश में विद्या भारती के स्कूलों में छह लाख छात्र अध्ययन कर रहे हैं, इसमें से अधिकतर ग्रामीण इलाके में हैं।
मोहम्मद अफसर और मोहम्मद सहबान दोनों ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज प्रयागराज स्कूल में पढ़ते हैं। मोहम्मद अफसर और मोहम्मद सहबान ने गुवाहाटी में 'खेलो इंडिया यूथ गेम्स' में 'हैमर थ्रो' प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत कर ज्ञकूल का नाम रोशन किया।
कोई इसे मुस्लिम समाज में बच्चों को गुणवत्ता और संस्कार वाली शिक्षा दिलाने की जागरूकता मान रहा है तो कोई संघ की कट्टरवादी छवि के बजाय उसकी राष्ट्रवादी सोच के प्रचार-प्रसार को बदलाव की वजह मान रहा है। प्रतापगढ़ से भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता का कहना है कि विपक्षी पार्टियों ने संघ को लेकर जो भ्रम फैलाया था, उससे अब मुस्लिम समुदाय वाकिफ हो चुका है। पीएम मोदी ने सबके विश्वास की जो बात कहीं थी, उस पर अमल करते हुए मुस्लिम समाज अपने बच्चों को राष्ट्रवाद की शिक्षा देने की खातिर संघ के स्कूलों में भेज रहा है।
एक छात्र के पिता मोहम्मद चांद ने कहा, 'हमने इस स्कूल में (सरस्वती शिशु मंदिर) में शिक्षा की गुणवत्ता देखी, फिर वहां अपने बच्चे को भेजने का फैसला किया। इससे पहले मिथक था कि ये स्कूल केवल हिंदुओं के लिए हैं और वे अल्पसंख्यकों का ऐडमिशन नहीं करते हैं। हमारे बच्चे को भी वहां पढ़कर काफी अच्छा लग रहा है।'
विद्या भारती के प्रदेश निरीक्षक रामजी सिंह का कहना है कि इसके लिए संघ या विद्या भारती ने कोई अलग प्रयास नहीं किया, बल्कि बढ़े हुए बच्चों के परिवार वाले उन्हें लेकर खुद स्कूलों तक आते हैं। पिछले कुछ समय में मुस्लिम समुदाय में अपने बच्चों को क्वालिटी एजूकेशन और संस्कार वाली शिक्षा दिलाने को लेकर काफी जागरूकता आई है, इसी वजह से वह अपने बच्चों को संघ के स्कूलों में भेज रहे हैं।
विद्या भारती का गठन वर्ष 1977 :- वर्ष 1952 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक कृष्ण चंद्र गांधी ने भाउराव देवरस और नानाजी देशमुख संग मिलकर गोरखपुर के पक्की बाग में देश के पहले 'सरस्वती शिशु मंदिर' की आधारशिला रखी थी। हालांकि इसके संचालन की संस्था 'विद्या भारती' का गठन वर्ष 1977 में किया गया। आरएसएस से जुड़े शैक्षिक संगठन विद्या भारती का मुख्यालय लखनऊ में है।
Updated on:
22 Feb 2020 06:21 pm
Published on:
22 Feb 2020 06:18 pm
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