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विकास दूबे के मददगार अफसरों तथा मेहरबान राजनीतिक आकाओं को ढूंढ़ने में जुटी एसआईटी

बिकरू कांड के प्रत्यक्षदर्शी बिठूर एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने एसआईटी के सामने दर्ज कराया बयान घायल एसओ ने कहा कि विनय तिवारी की वजह से मारे गए आठ पुलिसकर्मीएसआईटी ने तेज की कानपुर कांड की जांच

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विकास दूबे के मददगार अफसरों तथा मेहरबान राजनीतिक आकाओं को ढूंढ़ने में जुटी एसआईटी

विकास दूबे के मददगार अफसरों तथा मेहरबान राजनीतिक आकाओं को ढूंढ़ने में जुटी एसआईटी

लखनऊ. विकास दुबे का अंत हो गया है। पर अब उन कनेक्शन की तलाश तेज हो गई है, जिनके बल पर विकास का इतना बड़ा साम्राज्य निष्कंटक चलता था। एसआईटी उन मददगार अफसरों तथा मेहरबान राजनीतिक आकाओं को ढूंढ़ कर उनका कच्चा चिट्ठा खोलने को पूरी तरह से तैयार है। सिर्फ 18 दिन बाकी हैं प्रदेश सरकार को इस पूरे प्रकरण की रिपोर्ट देनी है। एक दिन पुरानी एसआईटी टीम के मुखिया अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी के तेवर बता रहे हैं कि इस मामले में वह किसी को कोई रियायत देने के मूड़ में नहीं हैं। गांव बिकरू में ही रविवार को करीब 55 लोगों को खंगाला कि वह विकास के बारे में खुलकर बोलें। अपने आठ साथी पुलिसकर्मियों की बलि लेने वाले 'विभीषण' चौबेपुर के तत्कालीन थानेदार विनय तिवारी व बीट इंचार्ज दारोगा केके शर्मा जेल में हैं। इस वक्त केके शर्मा बुरी तरह से डर हुआ है कि कहीं पुलिस उसका भी एनकाउंटर न कर दे। इसके लिए पत्नी की मदद से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। वहीं बिकरू कांड के प्रत्यक्षदर्शी बिठूर एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने एसआईटी के सामने बयान दर्ज कराया।

एसआइटी के तेवर तीखे :- विकास दूबे प्रकरण की पूरी जांच करने के लिए शनिवार को स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) का गठन किया। जिसकी कमान अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी को सौंपी गई। इसमें अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा और पुलिस उप महानिरीक्षक जे रवींद्र गौड़ उनकी मदद कर रहे हैं। एसआईटी टीम के तेवर बता रहे हैं कि विकास दूबे के काले कारोबार का छत्रछाया देने वाले अफसरों और राजनेताओं की खैर नहीं है।

ईडी ने फैलाया अपना शिकंजा :- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन रोकथाम कानून के तहत विकास दुबे और उसके सहयोगियों की संपत्ति की जानकारी मांगी है। जांच शुरू करने से पहले यूपी पुलिस और आयकर विभाग से विकास दूबे की सम्पतियों को ब्यौरा मांगा गया है। विकास दुबे की अकूत संपत्ति के मामले में राजस्व विभाग की टीम भी एसआईटी के रडार पर है। कानपुर को साथ लखनऊ में जमीनों पर कब्जे और उसकी खरीद-फरोख्त में प्रशासनिक अमले के सहयोग से इनकार नहीं किया जा सकता।

बिकरू गांव में एसआईटी ने सुना दर्द :- रविवार को एसआईटी टीम जब बिकरू गांव गई तो उस के सामने विकास दूबे के आतंक की कई कहानियाों का खुलासा हुआ। एसआईटी टीम ने डरे सहमे लोगों का पुचकार कर और उनकी हिम्मत बंधाकर उनसे खुलकर बोलने को कहा। उसके बाद करीब 55 लोगों ने अपनी दर्द को उड़ेल कर रख दिया। विकास की करतूतें सुनकर एसआईटी टीम की विकास दूबे के प्रति रही सही हमदर्दी भी खत्म हो गई। गोकुल ने बताया कि विकास अपनी सरकार चलाता था। गांव में यदि किसी का विवाद होता था तो गुर्गों को भेजकर घर पर बुलवा लेता था। घर के अपने लोगों से पिटवाता था।

एसआईटी पूछती गईं बिठूर एसओ बताते चले गए :- बिकरू कांड के प्रत्यक्षदर्शी बिठूर एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने उस रात का सारा कच्चा चिट्ठा एसआईटी के सामने बता दिया। कानपुर में चौबेपुर थाने के निलंबित एसओ विनय कुमार तिवारी और एनकाउंटर में मारे गए विकास दुबे की मिलीभगत से बिकरू जैसा जघन्य हत्याकांड हुआ। हम लोगों को नहीं पता था कि किस अपराधी के यहां दबिश देने जा रहे हैं। तत्कालीन बिल्हौर सीओ देवेंद्र मिश्र के निर्देश पर चौबेपुर थाने के साथ ही बिठूर और शिवराजपुर की फोर्स सामान्य दबिश की तरह बिकरू गांव पहुंची थी। अंदर घुसते ही अचानक सबके होश उड़ गए। देखते ही देखते ताबड़तोड़ गोलियों से हमला हो गया और सीओ, एसओ समेत आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गए। कौशलेंद्र ने बताया कि दबिश में विनय तिवारी और हलका इंचार्ज केके शर्मा पूरी फोर्स के साथ पीछे थे। चौबेपुर पुलिस की मुखबिरी से ही विकास पूरी तैयारी से बैठा था।

बढ़ता जा रहा है जांच का दायरा :- रोजाना कुछ नया सामने आ रहा है। एसटीएफ ने विकास दुबे के दो मददगारों को पूछताछ के लिए लखनऊ के कृष्णानगर और बंथरा से बुलाया। इनमें से एक ने विकास की एक मुकदमे में जमानत भी ली थी। इन्होंने बताया कि दस साल से हमारा सम्पर्क है। जमीनों के लिए हम स्टाम्प पेपर की व्यवस्था करते हैं। पूछताछ के बाद दोनों को छोड़ दिया गया। बताया जा रहा है कि एसआईटी विकास दुबे पुराने केसों की फाइलों को खंगाला सकती है। इन केसों में क्या पुलिस कार्रवाई हुई थी और उससे क्या पूछताछ की गई थी, इन सभी तथ्यों की भी पड़ताल कर सकती है। इसके अलावा कानपुर नगर और कानपुर देहात जिले की पुलिस तो पूरी तरह जांच के दायरे में होगी।


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