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यूपी पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले से यूपी सरकार के अफसरों के चेहरे खिले

- याचिकाकर्ता दिलीप कुमार की रिट को खारिज किया- सुप्रीम कोर्ट ने दखल से किया इनकार - कहा, हाईकोर्ट में करें जाकर अपील

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश ग्राम पंचायत चुनाव की आरक्षण लिस्ट पर लखनऊ हाईकोर्ट के सुनाए गए फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता दिलीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को साफ-साफ कह दिया कि वह इसमें कोई दखल नहीं दे सकते हैं। आप को इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्याय के लिए जाना होगा।

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यूपी सरकार ने राहत की सांस ली :- शुक्रवार सुबह उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग ने पंचायत चुनावों की तारीखों की घोषणा कर दी। पर चुनाव अधिकारियों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर लगी हुई थी। पर जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया चुनाव अधिकारियों और यूपी सरकार ने राहत की सांस ली। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ में दाखिल सीतापुर जिले के दिलीप कुमार की 186 पन्ने की याचिका पर आज सुनवाई थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर करें :- याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर जो आदेश दिया है उसे बदला जाए। इस याचिका में दिलीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि 1995 को ही आधार वर्ष मानकर इस चुनाव के लिए सीटों का आरक्षण किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव मामले में किसी भी प्रकार का दखल देने से इनकार करने के साथ याचिका दायर करने वाले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील दायर करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट अर्जी :- उत्तर प्रदेश सरकार ने इससे पहले ही बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट अर्जी भी दाखिल की थी। इसमें कहा गया कि कोर्ट इस याचिका पर कोई भी निर्णय करने से पहले एक बार उनका पक्ष भी जरूर सुने। कैविएट याचिका में प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि जब पंचायत चुनाव को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा तब कोर्ट में सरकार का भी पक्ष सुना जाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कुछ दिन पहले ही पुरानी आरक्षण सूची पर रोक लगाते हुए 2015 के आधार पर चुनाव कराने को लेकर फैसला सुनाया था।