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Maghi Purnima 2018 : माघी पूर्णिमा 31 को, यह है समय पूजा विधि शुभ मुहूर्त महत्व – ऐसे होगी मोक्ष की प्राप्ति

Maghi Purnima 2018 : माघ पूर्णिमा का सनातन संस्कृति में बहुत महत्व है। यह है समय पूजा विधि शुभ मुहूर्त और महत्व 18:56 on 31/Jan/2018

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Neeraj patel

लखनऊ. हिन्दू धर्म में माघ पूर्णिमा को बहुत ख़ास माना जाता है। माघ पूर्णिमा का सनातन संस्कृति में बहुत महत्व है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन गंगा या किसी अन्य पवित्र में स्नान करना बहुत ही शुभ और लाभकारी माना जाता है। अन्य पूर्णिमा तिथियों की तरह यह भी बहुत खास है लेकिन माघ मास में आने के कारण इसका महत्व बढ़ जाता है। इस बार माघी पूर्णिमा 31 जनवरी 2018 दिन बुधवार को पड़ेगी।

Purnima Tithi Begins = 22:22 on 30/Jan/2018
Purnima Tithi Ends = 18:56 on 31/Jan/2018

माघ पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है जो इस महीने का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन लोग गंगा यमुना और सरस्वती के संगम पर जाकर स्नान करते है, गायों का दान करते है और हवन आदि पुण्य कर्म करते है। इतना ही नहीं मान्यता ये भी है की माघ के माह का प्रत्येक दिन खास और विशेष होता है इसीलिए इस महीने में सबसे अधिक दान-पुण्य के कार्य किए जाते है। बहुत से लोग माघ के पुरे महीने प्रातःकाल जागकर गंगा और यमुना नदी में स्नान करते है। इस स्नान का प्रारंभ पौष पूर्णिमा से होता है और समाप्ति माघ पूर्णिमा पर होती है। इसके अलावा माघ पूर्णिमा के दिन संत रविदास जयंती भी मनाई जाती है।

माघ पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है। शुक्रवार को श्रद्धालु शहर में स्वर्ण रेखा और खरकई नदियों में स्नान करेंगे। लोग घरों में भी स्नान आदि के बाद दान करेंगे। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन स्नान-दान करने से पूरे माघ महीने में स्नान-दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। साथ ही आयु और आरोग्य में वृद्धि होती है। स्नान के बाद पात्र में काला तिल भर कर और ऊनी वस्त्र व कंबल आदि का भी दान किया जाएगा। शास्त्रीय मत है कि इस दिन काला तिल भरा पात्र और ऊनी वस्त्र-कंबल आदि दान करने से धन और वंश में वृद्धि होती है। शुक्रवार की सुबह शहर की नदियों में स्नान करने के लिए लोगों की ठीक-ठाक भीड़ जुटी होगी। इसके अलावा शहर के लोग गंगा, यमुना और सरस्ती आदि पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए शहर के बाहर भी जाएंगे।

सनातन धर्म में फाल्गुन मास का विशेष महत्व है। इस महीने में पड़ने वाले पर्व-त्योहारों की अपनी विशेषता है। चंद्रमा का संबंध मन से होने के कारण भी यह व्रत मन की पवित्रता और पुण्य के लिए किया जाता है। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आध्यात्मिकता का विकास होता है। चूंकि सर्दी का गमन और आगमन - दोनों ही रोगकारक भी होते हैं। इसलिए इस दौरान शरीर से विजातीय द्रव्यों का निष्कासन भी जरूरी होता है। माघ पूर्णिमा व्रत करने से शरीर अगली ऋतु के अनुसार स्वयं को तैयार करता है और उसकी प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। विभिन्न व्रतों की तरह इस दिन भी नियम-संयम से रहते हुए वाणी, कर्म और आचरण की शुद्धता का ध्यान रखें।

योग्य व्यक्ति को धन, गौ, अन्न, वस्त्र आदि का दान करें। अपने इष्ट देव व पितृ देव को श्रद्धापूर्वक नमन करें। इस दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि माघी पूर्णिमा मंत्र सिद्धि के लिए बहुत शुभ दिन है। यह व्रत करने से श्रद्धालु का जीवन चंद्रमा की तरह उत्तरोत्तर यश व परमात्मा को प्राप्त करता है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि माघी पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस बार माघी पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि के साथ ही पुष्यामृत योग भी बन रहा है। इस दिन ही होली का डांडा गाड़ा जाता है। मंगलवार को पूर्णिमा पर विशेष योग है। इस दिन भैरव जयंती भी मनाई जाती है।

ज्योतिषाचार्य धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार माघ मास स्वयं भगवान विष्णु का स्वरूप बताया गया है। पूरे महीने स्नान-दान नहीं करने की स्थिति में केवल माघी पूर्णिमा के दिन तीर्थ में स्नान किया जाए तो संपूर्ण माघ मास के स्नान का पूर्ण फल मिलता है।

माघ स्नान वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। माघ में हेमंत ऋतु खत्म होने की ओर रहती है तथा इसके साथ ही शिशिर ऋतु की शुरुआत होती है। ऋतु के बदलाव का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर नहीं पड़े इसलिए प्रतिदिन सुबह स्नान करने से शरीर को मजबूती मिलती है।

आचार्य श्यामनारायण व्यास के अनुसार इस दिन वाग्देवी यानी सरस्वती के स्वरूप ललिता महाविद्या की जयंती भी है। इसे होलिका डांडा रोपिणी पूर्णिमा भी कहा जाता है। मंगल को पुष्य नक्षत्र होना भी श्रेष्ठ है। यह आयुष्मान योग है। सर्वार्थसिद्धि योग दिन भर रहेगा। शनि भी वक्री होने से प्रॉपर्टी, लोहा आदि वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव का दौर रहेगा।